व्यक्तित्व निर्माण से राष्ट्र निर्माण
(मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश)
विनोबा भावे जी के पास कुछ छात्र राष्ट्र निर्माण का सूत्र पाने की भावना से पहुँचे। विनोबा जी ने उन युवकों को सूत्र देने से पूर्व कहा – देखो! मेरे पास कुछ लकड़ी के पासे हैं, तुम्हें इनसे भारत का नक़्शा बनाना है। जब बन जाये, तब मैं तुम्हें राष्ट्र निर्माण का सूत्र बताऊँगा। लकड़ी के छोटे-छोटे पासों से नक़्शा बनाना बड़ा कठिन काम था। सभी छात्र पासों से भारत का नक़्शा बनाने में लग गये, पर किसी को कुछ समझ में नहीं आया। एक छात्र ने गलती से पासे को पलटा, तो देखा उसमें मानव शरीर की आकृति थी। उसने सभी को पलट कर देखा, तो किसी में हाथ, किसी में उँगली, तो किसी में पाँव थे। उसने सभी पासों को मानव शरीर बनाने के लिए यथास्थान पर लगा दिया। जब शरीर की आकृति पूरी हुई, तो सभी पासों को उनके स्थान पर पलट दिया। इंसान का शरीर भारत के नक़्शे में परिवर्तित हो गया। विनोबा जी ने कहा- मैं तुम्हें यही सूत्र देता हूँ “भारत का निर्माण करना चाहते हो, तो इंसान का निर्माण करो। व्यक्ति के निर्माण से ही समाज का निर्माण होगा और समाज से ही राष्ट्र का निर्माण होगा।”
मैं कहता हूँ – यदि एक-एक व्यक्ति नई दिशा अंगीकार करे और मूलभूत भारतीय दर्शन के अनुरूप चलना शुरू करे, तय मान करके चलना- आज भी भारत पूरे विश्व का आदर्श बनने की क्षमता रखता है।/strong>
Edited by: Pramanik Samooh
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