धर्म में पर्यावरण की परिभाषा

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धर्म में पर्यावरण की परिभाषा
Environment in Dharma

आज जहाँ देखो वहाँ पर्यावरण संरक्षण की चर्चा चल रही हैं। पर्यावरण की सुरक्षा, संवद्र्धन ही मानव को सभ्य जीवन जीने की प्रेरणा देता है। आज हमारा देश ही क्या, समूचा विश्व पर्यावरणीय असंतुलन की स्थिति से आहत व चितित है। पर्यावरण अपने भौतिक, जैविक एवं सांस्कृतिक पहलुओं द्वारा मानव की नियति का निर्धारण करता है। जल, वायु, जमीन और आकृति के समावेश से भौतिक वातावरण जीवन के अस्तित्व को विभिन्न प्रकार से बनाये रखता है। जैविक वातावरण में वनस्पति एवं जीव—जन्तु शामिल हैं, जो जीवित प्राणियों के लिये भोजन एवं आहार के अन्य साधन उपलब्ध कराते हैं। मानव ने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये प्रकृति का इतना दोहन कर लिया है कि उसे संवारने हेतु एक बहुत लम्बा समय लग जायेगा। जलवायु, शोर एवं जनसंख्या इन सबकी विशुद्धता एवं संतुलन ही पर्यावरण की सुरक्षा करता है

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