12Jun2025: मुनिश्री ससंघ सानिध्य में भावना योग प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का भावपूर्ण समापन

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📯भावना योग शिविर का भावपूर्ण समापन📯
भोपाल, म.प्र.
दि. 7 से 12 जून 2025

✴ संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर 108 श्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य ✴
🕉 गुणायतन प्रणेता, भावना योग प्रवर्तक
शंका समाधान के परम पूज्य मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज एवं
पूज्य मुनिश्री 108 सन्धानसागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में 🕉

 

📰 आज का विशेष समाचार
📍 स्थान: श्री विद्या प्रमाण गुरुकुलम्, अवधपुरी, भोपाल
📆 तिथि: 12 जून 2025
✍ प्रामाणिक समूह

भावना योग शिविर का भावपूर्ण समापन — साधकों ने जाना शांति का वैज्ञानिक रहस्य
श्री विद्या प्रमाण गुरुकुलम्, अवधपुरी में चल रहे 6 दिवसीय भावना योग प्रशिक्षण शिविर का आज भावभीना समापन हुआ। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था — भावना योग के चार मूल चरणों (प्रार्थना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान और सामायिक) के वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष को साधकों तक पहुँचाना।

कार्यक्रम के समापन सत्र में मुनि श्री प्रमाणसागर जी महाराज ने भावनाओं की शक्ति और सामायिक की वैज्ञानिकता पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा—

“सामायिक साधना केवल धार्मिक क्रिया नहीं, यह समत्व और साधुता की साधना है।
जीवन की जड़ता को तोड़ने का और शांति की अनुभूति पाने का सबसे सहज उपाय है — सामायिक।”

उन्होंने आधुनिक विज्ञान की भाषा में समझाया कि पैरासिंपैथेटिक मोड यानी शांति की अवस्था तक पहुंचने का श्रेष्ठ मार्ग भावना योग है, जो मन को बहलाता नहीं, बदलता है।

मन को बहलाने से नहीं, बदलने से मिलती है शांति
मुनिश्री ने कहा कि —

“आज हर व्यक्ति तनाव में है, अशांति में है। हँसने के लिए ‘लाफ्टर क्लब’ तो हैं, पर शांति कहाँ है?
अगर स्थायी शांति चाहिए तो मन को बदलना होगा। मन बहलाने वाला भोगी होता है, मन बदलने वाला योगी।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि भावना योग के अभ्यास से भावनात्मक रूपांतरण घटित होता है। साधक केवल क्रिया न करें, बल्कि साधना करें।

ऊर्जा प्रवाह और एक्टिव विज़ुअलाइज़ेशन मेडिटेशन की वैज्ञानिक व्याख्या
मुनिश्री ने ऊर्जा प्रवाह साधना की वैज्ञानिकता बताते हुए इसे “Active Visualization Meditation” की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि:

“जैसा हम सोचते हैं, जैसा हम महसूस करते हैं — वैसा ही हमारा शरीर और मस्तिष्क प्रतिक्रिया देता है।
यह न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ाता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी सशक्त करता है।”

उन्होंने अपनी एक निजी चिकित्सा सफलता का उदाहरण देते हुए बताया कि सामान्यत: सूखी हुई नस दोबारा सक्रिय नहीं होती, पर भावना योग के ऊर्जा प्रवाह से यह संभव हुआ।

भावना योग: भविष्य की आध्यात्मिक धारा
शिविर में भावना योग के प्रति गहन समर्पण देखने को मिला। प्रामाणिक समूह, डॉक्टर सुभाष जखारिया, भाई राजेश, कीर्ति बहन, हेमा, एकता, सीमा, विवेक भाई जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं को विशेष धन्यवाद और साधुवाद दिया गया।

मुनिश्री ने सभी साधकों से आह्वान किया:

“अब केवल जुड़ना नहीं, जोड़ना है — और जोड़ने के लिए जुटना है।
एक प्रशिक्षक कम से कम 10 प्रशिक्षकों को तैयार करे। यही भावना योग के विश्वव्यापी प्रसार की कुंजी है।”

पुस्तकों और ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा
भावना योग पर आधारित पाँच महत्वपूर्ण पुस्तकें शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रही हैं। साथ ही ऑनलाइन क्लासेस की औपचारिक घोषणा 21 जून को की जाएगी, जिसमें रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया व प्रशिक्षण पद्धति को बताया जाएगा।

नया संदेश: कार्य करो, अपेक्षा नहीं — संकल्प से साधना की ओर
अंत में मुनिश्री ने युवाओं और साधकों को संबोधित करते हुए कहा —

“कार्य करो, और उसकी सराहना की अपेक्षा मत रखो। साधक वह है, जो बिना मान-अपेक्षा के समर्पित भाव से जुटा रहे।
आज के युग में भावना योग न केवल आत्मिक चिकित्सा है, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के कल्याण की कुंजी भी है।”

उन्होंने सभी प्रतिभागियों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि “आप सभी अब साधक हैं, यही भावना योग की सच्ची उपलब्धि है।”

अन्य झलकियाँ

 

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➡ 🧘🏻‍♂भावना योग🧘🏻‍♂ ⬅
तन को स्वस्थ – मन को मस्त – आत्मा को पवित्र
बनाने का अभिनव प्रयोग

 

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