05Jun2025: अवधपुरी, भोपाल जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा दिवस-5 झलकियाँ

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🛕🛕 अवधपुरी, भोपाल🛕🛕
🕉 श्री 1008 श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक,
प्रतिष्ठा महामहोत्सव, एवं विश्वशांति महायज्ञ 🕉
🚩 दिवस-5 झलकियाँ 🚩
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🏵 पावन सानिध्य 🏵
🕉 संत शिरोमणि आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी मुनिमहाराज 🕉
के परम प्रभावक शिष्य
✴ परम पुज्य मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज ✴
✴ पुज्य मुनिश्री 108 संधानसागर जी महाराज ससंघ✴
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🔴 कार्यक्रम 🔴
1 जून से 6 फरवरी 2025 तक
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📯 आयोजन स्थल 📯
 🟡 अवधपुरी, भोपाल (म.प्र.)🟡

🗓 दिनांक: 5 जून 2025
📍 स्थान: अवधपुरी, भोपाल (मध्य प्रदेश)
📰 आज का विशेष समाचार

🙏 “सतपात्र को दिया गया दान ही सबसे बड़ा दान है” — पंचकल्याणक महोत्सव में मुनि श्री प्रमाण सागर जी का प्रेरणादायक संदेश
📍 अवधपुरी, भोपाल।

“भगवान की तपस्या तभी फलीभूत होती है जब उनके आहार का निमित्त कोई पुण्यात्मा जीव बनता है। आहार दान केवल एक कर्म नहीं, यह युगों-युगों का मार्ग निर्धारण करता है।” — यह प्रेरणादायी वचन मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने अयोध्या नगरी के पंचकल्याणक स्थल पर, मुनि ऋषभदेव की प्रथम आहार चर्या के अवसर पर आयोजित “ज्ञान कल्याणक” महोत्सव के पांचवे दिवस पर विद्याप्रमाण गुरुकुलम् में व्यक्त किए।

📿 मुनिश्री ने कहा कि जब दान की बात आती है तो सामान्यतः धन को ही प्रमुख माना जाता है, लेकिन वास्तव में आहार, औषधि, उपकरण और आवास दान कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने राजा श्रेयांश और राजा सोम की ऐतिहासिक कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे आहारदान के माध्यम से ‘दान तीर्थ’ की स्थापना हुई और ‘धर्म तीर्थ’ का सूत्रपात हुआ।

🌾 आहारदान की ऐतिहासिक परंपरा पुनः सजीव
छह माह तक निराहार विचरण के उपरांत, जब मुनि ऋषभदेव ने राजा श्रेयांश के हाथों आहार ग्रहण किया, तब देवताओं ने उन्हें ‘दान तीर्थंकर’ की उपाधि प्रदान की थी। इस पावन परंपरा को पुनर्जीवित किया गया जब राजा श्रेयांश की भूमिका निभा रहे विनीत गोधा एवं राजा सोम की भूमिका में डॉ. शरद जैन के परिवार ने प्रभु का पड़गाहन कर इच्छुरस से आहार दान दिया। प्रवक्ता अविनाश जैन ‘विद्यावाणी’ ने बताया कि यह दृश्य भक्तों के लिए मोक्षमार्ग का जीवंत अनुभव बन गया।

🌿 आधुनिक युग में शुद्धता का संदेश
मुनि श्री ने स्पष्ट किया कि आहार दान में “नवधा भक्ति” की पूर्णता आवश्यक है। उन्होंने सात गुण, नौ पुण्य और सोलह आवश्यकताओं के समागम को आदर्श आहार बताया। साथ ही रात्रिभोज के त्याग और मधु (शहद) के परित्याग की अनिवार्यता पर जोर दिया।
उन्होंने कृषि में रसायनों के बढ़ते उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया:
“अपने घर के बजट में संशोधन करें, ऑर्गेनिक आहार अपनाएं और वही शुद्ध आहार साधु-संतों को दें।” इस अवसर पर उपस्थित स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा आज भारत अपनी संस्कृति की सिंह गर्जना कर रहा है। भगवान महावीर का संदेश और ऋषभदेव की तपस्या हमें संयम, समर्पण और संस्कृति की रक्षा करना सिखाती है।”

🎙 कार्यक्रम संचालन और श्रद्धा की गूंज
कार्यक्रम का संचालन बाल ब्र. अशोक भैया एवं अभय भैया द्वारा किया गया। समूचा सभास्थल “जय ऋषभदेव”, “जय महावीर”, और “ओम् ऋषभसागर महामुनिंद्राय नमः” के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा करते हुए इस दिव्य आहारदान को मोक्षमार्ग की साक्षात सीढ़ी कहा।

 

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