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छोड़ दो गलत ट्रेन को

छोड़ दो गलत ट्रेन को (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) एक बार एक युवक ट्रेन में सफर कर रहा था और अपने दोनों पैर के घुटनो पर सिर रखकर…

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शेर का कांटा

शेर का कांटा (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) यूनान में डायजनिस नाम का एक दास था। अपनी गुलामी से तंग आकर के एक दिन वो भाग गया। भागता-भागता वह…

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तिनके सी उलझन

तिनके सी उलझन (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) एक नदी सागर में मिलने की ओर अग्रसर थी और बहुत ही तेज़ धार के साथ बही जा रही थी। नदी…

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हनुमान जी की माँ – सती अंजना

हनुमान जी की माँ – सती अंजना (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) सती अंजना के बारे में कौन नहीं जानता! इन्होंने अपने जीवन में कई मुसीबतों का सामना किया,…

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ईर्ष्या के टमाटर

ईर्ष्या के टमाटर मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश एक बार की बात है, एक गुरु अपने शिष्यों को अध्ययन पूरा कराने के बाद सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी…

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