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📯 आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का 58वाँ दीक्षा दिवस 📯
🕉 1100 क्वार्टर, भोपाल, मध्यप्रदेश 🕉
👉 दि. 30 जून 2025 👈
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संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य
🚩 पूज्य मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज ससंघ ने
1100 क्वार्टर, भोपाल, म.प्र. में
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का 58वाँ दीक्षा दिवस गुणानुवाद सभा आयोजित करके मनाया। 🚩
“आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज विभूति नहीं, युग की चेतना थे”– मुनि श्री प्रमाणसागर
(भोपाल) संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज के 58 बां दीक्षा दिवस के अवसर पर आयोजित 1100 क्वार्टर गुणानुवाद सभा में श्रोताओं ने आत्मा तक को भिगो देने वाले भावों का अनुभव किया। सभा में मुनि श्री ने कहा“जब हम किसी विभूति का गुणगान करते हैं, तो वह मात्र व्यक्ति की प्रशंसा नहीं होती, बल्कि वह जीवनमूल्य, आत्मबल और तप की आराधना होती है।”
✨ विभूति नहीं, युग की चेतना थे गुरुदेव
मुनि श्री ने कहा कि जब हम किसी व्यक्ति के गुण गाते हैं, तो उसकी दृश्य उपलब्धियाँ हमारे सामने होती हैं। लेकिन जब हम आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की बात करते हैं, तो वह एक दृश्य पुरुष नहीं, एक अदृश्य चेतना, एक युगबोध के रूप में प्रकट होते हैं।“गुरुदेव केवल एक महान तपस्वी ही नहीं, यशस्वी, मनस्वी और तेजस्वी विभूति भी थे। उनका व्यक्तित्व साधारण नहीं, असाधारण था।”
🔥 तपस्वीता के साथ तेजस्विता का अद्वितीय संगम मुनि श्री ने स्मरण करते हुये कहा कि गुरुदेव का तप केवल बाह्य नहीं था, वह भीतरी निष्प्रहता और आध्यात्मिकता से सिंचित था।“ जो व्यक्ति विरोध को भी विनोद मान ले, वही सच्चा तपस्वी होता है। गुरुदेव के जीवन में विरोध कभी प्रतिक्रिया का कारण बना ही नहीं।”
🧘 समता की मूर्ति: ‘मैं इसे ही अपनी सामायिक मानता हूँ’
कुंडलपुर महोत्सव के अनुभवों को साझा करते हुए मुनि श्री ने कहा कि मंच पर दीर्घकाल तक मौन बैठे रहना उनके लिए एक तप था। जब किसी ने पूछा कि आप इस समय व्यर्थ नहीं मानते? तो उन्होंने सहज उत्तर दिया—“मैं इसे ही अपनी सामायिक मानता हूँ।”
🌍 राष्ट्र चिंतक: जब गृह मंत्री भी हुए अभिभूत
मुनी श्री ने कहा कि माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी जब गुरुदेव के दर्शन हेतु पहुंचे, तो वे भी चकित रह गए। उन्होंने मंच से कहा“गुरुदेव ने न समाज की, न संघ की, बल्कि केवल राष्ट्र की चिंता की। यह उनका अनुभव अद्भुत था।”
👑 विद्या, विनय और तेज का त्रिवेणी संगम
गुरुदेव के आभा मंडल का प्रभाव ऐसा था कि जब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस श्री एस.एम. जैन उनसे मिलने आए, तो उन्होंने 10 मिनट का समय रखा था, लेकिन डेढ़ घंटे तक वहीं बैठे रहे और अंत में बोले—“मैं तो पूरी तरह उनका हो गया।”
📜 *जब विद्वान मौन हो जाते थे… मुनि श्री ने कहा कि बड़े-बड़े सिद्धांताचार्य, जो प्रश्नों की श्रृंखला लेकर आते थे, वे भी गुरुदेव के सामने मौन हो जाते थे“उनका तेज ऐसा था कि विद्वान भी शब्द भूल जाते। यह उनके तेजस्वी स्वरूप का प्रमाण था।”
🌱 राष्ट्र निर्माण की ओर साधु जीवन
गुरुदेव ने केवल धार्मिक ही नहीं, राष्ट्रीय पुनरुत्थान का भी स्वप्न देखा। वे राष्ट्र की आत्मा को पुनः जाग्रत करना चाहते थे।
“एक बालक को देखकर उन्होंने कहा — इसे बड़ा नहीं, एक अच्छा नागरिक बनाओ। यह उनकी मनस्वता की गहराई थी।”
📚 रचनात्मकता की सजीव मूर्ति
1999 में एक प्रसंग में उन्होंने मुनि संघ से कहा—
“तुम सब मेरे दर्शन करते हो, पर मैं तुम सबमें आचार्य कुंदकुंद का प्रतिबिंब देखता हूँ।”गुरुदेव ने संघ को साधारण नहीं, आध्यात्मिक साधकों का परिवार बनाया।
🌎 जैन धर्म का वैश्विक प्रतिनिधित्व
एक प्रसंग में उन्होंने कहा कि अमेरिका में एक व्यक्ति ने जब कहा कि वह जैन है, तो उत्तर मिला—“वही आचार्य विद्यासागर वाले जैन?”यह उनकी वैश्विक पहचान और यशस्विता का स्पष्ट प्रमाण था।
🕯 शब्द सीमित, अनुभूति असीम मुनि श्री ने कहा—“गुरुदेव के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दीपक दिखाना है, लेकिन आरती तो दीपक से ही होती है।”“उनकी स्मृति हमें भावुक कर देती है, पर उनका जीवन हमें दिशा वोध देता है।”
🛡 हमारी जिम्मेदारी: सुयस को चिरस्थायी बनाना
सभा का समापन करते हुये मुनि श्री ने कहा कि
“अब यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि गुरुदेव द्वारा दी गई प्रेरणा, दिशा और विरासत को सुरक्षित रखें, जिससे आने वाली पीढ़ियों को उसका लाभ मिल सके।“उन्होंने जो बाग लगाया, उसे फलने-फूलने देना हमारी साधना होनी चाहिए।”
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➡ 🧘🏻♂भावना योग🧘🏻♂ ⬅
तन को स्वस्थ – मन को मस्त – आत्मा को पवित्र
बनाने का अभिनव प्रयोग
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