आज का संदर्भ
वर्तमान युग में भोगवाद और इंद्रिय-प्रेरित जीवन शैली को सफलता का पर्याय मान लिया गया है। ‘जो चाहो वह लो’ की संस्कृति में आत्मनियंत्रण को पिछड़ापन और ब्रह्मचर्य को पुरातनपंथी सोच कहा जाता है। ऐसे समय में ब्रह्मचर्य धर्म केवल यौन संयम तक सीमित न रहकर, जीवन की समग्र ऊर्जा का जागरक बनकर सामने आता है।
ब्रह्मचर्य का वास्तविक अर्थ
ब्रह्मचर्य का सामान्य अर्थ केवल यौन-नियंत्रण नहीं है, बल्कि यह ‘ब्रह्म’ यानी आत्मा में ‘चर्या’ करना है। इसका आशय है — ऐसी जीवनशैली अपनाना जिसमें विचार, वाणी, और व्यवहार आत्मा के केंद्र में रहें, इंद्रियों की गुलामी नहीं।
आधुनिक जीवन की विडंबना
आज की पीढ़ी सोशल मीडिया, फिल्में, अश्लीलता, विज्ञापन और भोगवादी मानसिकता से घिरी हुई है। नतीजतन, ऊर्जा का अपव्यय बढ़ रहा है — न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी। फोकस, उत्साह, मानसिक स्पष्टता और आत्मिक शक्ति क्षीण होती जा रही है।