आर्जव: सरलता का सौंदर्य
आज का युग तकनीकी तीव्रता, सामाजिक प्रतिस्पर्धा और व्यक्तित्व के दोहरेपन से ग्रस्त है। इंसान जितना अधिक बाहरी चमक-दमक में उलझा है, उतना ही वह आंतरिक रूप से उलझा हुआ, थका और खोखला होता जा रहा है। हर कोई दिखने में व्यस्त है, होने में नहीं। ऐसे समय में उत्तम आर्जव धर्म — अर्थात सरलता और निष्कपटता का धर्म — हमारे जीवन की सबसे गूढ़ आवश्यकता बन गया है।
“सच्चाई और सरलता से बढ़कर कोई चमत्कार नहीं।”
कपट की संस्कृति
आज समाज में हर जगह ‘पॉलिश्ड लाइफ’ का चलन है — सोशल मीडिया पर नकली हँसी, व्यवसाय में मीठे छल, रिश्तों में स्वार्थपूर्ण व्यवहार। लोग कुछ और होते हैं, दिखाते कुछ और हैं। परिणामस्वरूप अविश्वास बढ़ता है, आत्म-संतोष घटता है, संबंध खोखले होते जाते हैं, और तनाव और मानसिक विकार बढ़ते हैं।
आर्जव धर्म की पुनर्स्थापना
उत्तम आर्जव धर्म हमें स्वयं के साथ ईमानदार होने का पाठ पढ़ाता है। जब व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और कर्मों में एकरूप होता है, तब ही वह शांति और स्थायित्व पा सकता है। आर्जव धर्म यह सिखाता है कि जो सोचो वही कहो, जो कहो वही करो, झूठ और पाखंड का त्याग करो, दिखावे के जीवन से बाहर निकलो और जीवन को सादगी, सच्चाई और पारदर्शिता से जियो।