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🌻🌻🌻 भोपाल🌻🌻🌻
🌟 झलकियाँ 🌟
🚩 संस्कृत भाषा में निबद्ध 🚩
✴ बीजाक्षर मण्डल रचनायुक्त ✴
🔴 48 मंडलीय 🔴
🕉 श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान🕉
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🟡 कार्यक्रम 🟡
04 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2025
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📯 आयोजन स्थल 📯
🚩 श्री विद्या प्रमाण गुरुकुलम, अवधपुरी, भोपाल (म.प्र) । 🚩
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🛕 पावन सानिध्य 🛕
🕉 संत शिरोमणि आचार्य भगवन
108 श्री विद्यासागर जी महाराज 🕉
के परम प्रभावक शिष्य
🪷 परम पूज्य मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी
महाराज ससंघ 🪷
“अपने अंदर की बुराइयों की आहुति ही वास्तविक हवन है” – मुनि श्री प्रमाण सागर
अवधपुरी स्थित विद्याप्रमाण गुरुकुलम् में विगत आठ दिनों से चल रहे 1008 श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन रविवार को भगवान जिनेन्द्र देव की विशाल रथयात्रा एवं जाप एवं हवन के साथ हुआ।
प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया कि प्रातःकाल भगवान जिनेन्द्र देव का अभिषेक एवं शांतिधारा के उपरांत नित्यनियम पूजन एवं हवन आयोजित हुआ, जिसमें मंत्रोच्चारण के साथ अग्निकुंड में आहुतियाँ दी गईं।
मुनि श्री का संदेश
इस अवसर पर मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा –
“यदि आपकी श्रद्धा भगवान के प्रति प्रगाढ़ हुई है तो आपके अंदर पलने वाली बुराइयों का आज त्याग हो जाना चाहिए। मुनि श्री ने कहा कि यह आपको स्वयं विचार करना है कि विधान के पहले आपकी क्या प्रवृत्तियाँ थीं और इन आठ दिनों में आपके अंदर कितना बदलाव आया? उस बदलाव में स्थायित्व आना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा –
“हवन का अर्थ केवल धुआँ उड़ाना नहीं है, बल्कि अपने पापों और बुराइयों की आहुति देना ही वास्तविक हवन है”
मुनि श्री ने गुटखा–तंबाकू या अन्य व्यसन को छुड़ाते हुये कहा कि अपने व्यसनों को अग्नी कुंड में स्वाहा कर दैना यही प्रयास हर व्यक्ति का होना चाहिए।”मुनि श्री ने स्पष्ट किया कि धार्मिक आयोजन से पुण्य का संचय और पाप का क्षय होता है, लेकिन इसका वास्तविक पैमाना यह है कि – “इन आठ दिनों में आपके अंदर कितनी भौतिक आकांक्षाएँ घटीं और कितनी आध्यात्मिक चेतना जाग्रत हुई। जब तक हम भौतिक आकांक्षाओं के प्रति उदासीन नहीं होंगे, तब तक भगवान के प्रति हमारी यह आराधना अधूरी ही मानी जाएगी।”
भक्ति और आराधना
आचार्य पूज्यपाद स्वामी भगवान की भक्ति का उल्लेख करते हुए मुनि श्री ने कहा –“हे भगवन्! जब भी मेरे प्राण निकलें, तब मेरे कंठ से आपका नाम झरे, मेरी श्वास–श्वास में आपका स्मरण हो और रोम–रोम में आप वास करें – यही सच्ची भक्ति का प्रसाद है।”
आयोजन की गरिमा
इस अवसर पर मुनि श्री संधान सागर महाराज सहित समस्त क्षुल्लक मंचासीन थे। कार्यक्रम का संचालन ब्र. अशोक भैया और ब्र. अभय भैया ने किया।
🚩 श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का यह समापन, श्रद्धालुओं के लिए आत्मावलोकन और बुराइयों के त्याग का प्रेरणास्रोत बनकर सम्पूर्ण समाज के लिए सार्थक संदेश छोड़ गया।
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