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🏵 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष समारोह 🏵
👉 दि. 17 अगस्त 2025 👈
🛕 अवधपुरी, भोपाल, म.प्र. 🛕

संत शिरोमणि आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी मुनि महाराज के परम प्रभावक शिष्य
प्रखर वक्ता, प्रामाणिक संत
परम पूज्य मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज के सान्निध्य में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष समारोह
मनाया गया।

 

📰 आज का विशेष समाचार
भोपाल, अवधपुरी। रविवार, 17 अगस्त 2025।
“शुद्ध जीवन ही समाज का आधार है” – मुनि श्री प्रमाणसागर

अवधपुरी स्थित श्री विद्यासागर प्रबंधकीय संस्थान, विद्याप्रमाण गुरुकुलम् में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष समारोह, भावनायोग प्रवर्तक मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर पाँच हज़ार से अधिक महिलाओं और पुरुषों ने सहभागिता की। पूरा पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था।

मुनिश्री प्रमाणसागर ने अपने प्रवचन में कहा — “ सच्चाई और नैतिकता जीवन की रीढ़ है, करुणा और सहयोग हमारे जीवन का रक्त है, अनुशासन और संयम हमारी साँसें हैं, धर्म और मूल्य हमारी आत्मा हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक जीवन में शुद्धि नहीं घटित होगी, न व्यक्ति शक्तिशाली बन सकता है और न समाज तथा राष्ट्र। भारत तभी सशक्त होगा जब हर व्यक्ति के जीवन में पवित्रता और सामाजिक मूल्यों के प्रति निष्ठा होगी।
मुनिश्री ने युवाओं की जीवनशैली और अशुद्ध खानपान पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा — “ आज युवा शरीरजन्य आकर्षण में भटक गया है। चेहरे की चमक तो है, लेकिन भीतर जीवन तनाव, हताशा और पीड़ा से भरा हुआ है। यदि आप स्वस्थ और समर्थ बनना चाहते हैं, तो शुद्ध खानपान, संयमित जीवन और भावनायोग का नियमित अभ्यास कीजिए, जो शरीर को स्वस्थ और आत्मा को पवित्र बनाकर आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

उन्होंने मन की शक्ति पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि मन पारे की तरह है — यदि असंयमित हो जाए तो जीवन को नष्ट कर देता है, और यदि साध लिया जाए तो अमृत बनकर मोक्ष का आधार बनता है। क्रोध, ईर्ष्या, लालच और अहंकार जैसे विकार ही युवाओं को अवसाद और नकारात्मकता की ओर ले जा रहे हैं।

मुनिश्री ने आरएसएस के पंच परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा —
शुद्ध जीवन ही पंच परिवर्तन का आधार है। जब व्यक्ति शुद्ध होगा, तो परिवार, समाज, देश और संस्कृति में स्वतः परिवर्तन आ जाएगा।
उन्होंने टूटते परिवारों और लिव-इन रिलेशनशिप की प्रवृत्ति पर चिंता जताई और कहा कि भारतीय संस्कृति का आधार संयुक्त परिवार और ‘ वसुधैव कुटुंबकम् ’ का आदर्श है, जिसे बचाए रखना आवश्यक है।
अंत में मुनिश्री ने मीडिया से भी अपील की कि वह केवल नकारात्मकता फैलाने वालों को बढ़ावा न दे, बल्कि समाज में सकारात्मकता का संदेश प्रसारित करे।

रिपोर्ट: अविनाश जैन, विद्यावाणी संवाददाता

📽 पूरा प्रवचन देखें: https://www.youtube.com/watch?v=ddwew8KPnKE

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➡️ 🧘🏻‍♂️भावना योग🧘🏻‍♂️ ⬅️
तन को स्वस्थ – मन को मस्त – आत्मा को पवित्र
बनाने का अभिनव प्रयोग

 

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