उत्तम सत्य धर्म (Supreme Truth)
उत्तम सत्य धर्म 1.यह रूप भी असत्य, यहरंग भी असत्य, यह भोग भी असत्य, यह विलासता के साधन भी असत्य हैं। कुछ भी सत्य नहीं, सब छूटने वाले हैं। 2.यदि…
read moreउत्तम सत्य धर्म 1.यह रूप भी असत्य, यहरंग भी असत्य, यह भोग भी असत्य, यह विलासता के साधन भी असत्य हैं। कुछ भी सत्य नहीं, सब छूटने वाले हैं। 2.यदि…
read moreउत्तम आर्जव धर्म – वक्रता, कुटिलता, मायाचारी हमारे जीवन का टेढ़ापन है। -जीवन को सीधा वही कर पाते हैं जो साधना के प्रहार को झेलने के लिए तत्पर रहते हैं।…
read moreअहंकार – झुकोगे तो मजबूत बनोगे, अकड़ोगे तो टूट जाओगे। – अहं क्या है? अपने आपको सच्चा और अपने आपको अच्छा मानने की वृत्ति। अपने ही विषय में सोचने की…
read moreक्या होता है मार्दव धर्म? कोमलता के भाव ही मार्दव है। चित्त की सरलता, विनय करना, आदर करना, बहुमान करने के भाव ही मार्दव धर्म है। उत्तम मार्दव धर्म अपनाने…
read moreक्रोध: -सहन करने में समाधान है, जवाब देने में संघर्ष। -एक गुणवान मनुष्य जिसे बिना कारण ही क्रोध उत्पन्न हुआ करता है उसका कोई भी सम्मान नहीं करता है। -क्रोध…
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