सामायिक की महिमा Importance of Samayik सुख-दु:ख, लाभ-अलाभ, इष्ट-अनिष्ट आदि विषमताओं में राग-द्वेष न करना बल्कि साक्षी भाव से उनका ज्ञाता दृष्टा बने हुए समतास्वभावी आत्मा में स्थित रहना, अथवा सर्व सावद्य योग से निवृत्ति सो सामायिक है। आएये जानते हैं मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज से सामायिक की महिमा
सम्यक दर्शन की महिमा Significance of Samyakdarshan. सम्यक दर्शन के बिना सब साधना अधूरी और अर्थहिन है। कुछ भी करके सम्यक दर्शन ने लिए पुरुषार्थ करना चाहिए। यह जैन साधना का प्राण है, जाने सम्यक दर्शन की महिमा मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा
महाविभूति अकलंक और निकलंक Aklank & Niklank “अकलंक और निकलंक नामक दो भाई थे। अकलंक जिसे एक ही बार में याद हो जाता और निकलंक को दुबारा कहने से याद हो जाता है ऐसे प्रखर बुद्धि के धनी दोनों बालको में जिनधर्म के संस्कार थे। बचपन में ही ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था। इस बात…
पंचकल्याणक महोत्सव का महत्व Significance of Panchkalyanak Mahotsava. जिन्होंने हमें आत्मकल्याणक का मार्ग बतलाया एवं स्वयं भी उस कल्याण मार्ग पर चलकर जन्म—मरण से रहित हुए, उन तीर्थंकर परमात्माओं के जीवन की वे पांच घटनाएं — गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष के रूप में मानी जाती है, पंचकल्याणक कहलाती हैं। देव, विद्याधर एवं मनुष्यों…
सल्लेखना, समाधि मरण, संथारा क्या है? What is sallekhana, samadhi maran, santhara? “सल्लेखना (समाधि या सथारां) मृत्यु को निकट जानकर अपनाये जाने वाली एक जैन प्रथा है। इसमें जब व्यक्ति को लगता है कि वह मौत के करीब है तो वह खुद खाना-पीना त्याग देता है। दिगम्बर जैन शास्त्र अनुसार समाधि या सल्लेखना कहा जाता…