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पत्थर अहम् का गलता नहीं

पत्थर अहम् का गलता नहीं मैंने देखा, एक अंगीठी सुलग रही थी। लाल-लाल अंगारे दमक रहे थे। बड़ी तेज कांति और आभा थी उसमें। तभी एक अंगारे के मन में…

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भय का भूत हवा-हवाई

भय का भूत हवा-हवाई हमारे दुख के कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण है- भय। भय, व्याकुलता, डर यह एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं। जब भी हमारे मन में किसी…

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नज़र, नज़रिया और नज़ारे

नज़र, नज़रिया और नज़ारे नदी की तेज धार बह रही थी। उस धार में दो तिनके थे। पहला तिनका धार को रोकने का प्रयास कर रहा था उससे जूझ रहा…

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उन्नत मानसः उन्नत जीवन

उन्नत मानसः उन्नत जीवन शांतम तुष्टम पवित्रं च सानंदनम इति तत्वतः। जीवनम् जीवनम् प्राहो भारतीय सुसंस्कृतम्।। कल जिस कारिका से मैंने अपनी बात की शुरुआत की थी। भारतीय संस्कृति में…

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दृष्टि में मर्म जीवन में धर्म

दृष्टि में मर्म जीवन में धर्म बीज की सार्थकता वृक्ष के रूप में विकसित होकर फलवान बनने में हैं। बीज धरती के गर्भ में समाहित होकर अंकुरित होता है, पल्लवित…

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