माँ और गुरु में कौन बड़ा?
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माँ और गुरु में कौन बड़ा? Who is greater: Mother or Guru एक सवाल प्राय लोगो के मन में रहता है की जन्मदाता और जीवन निर्माता में कौन बड़ा? एक तरफ माँ है जो हमें जन्म देती है और दूसरी तरफ गुरु जो हमारे जीवन का निर्माण करते हैं, दोनों में से किसका स्थान बड़ा…

आसक्ति से विरक्ति की ओर
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आसक्ति से विरक्ति की ओर From attachment to detachment खालीपन कैसे लाएं, जीवन में पर पदार्थों के प्रति आसक्ति कैसे कम करें। जानें उपाय मुनि श्री प्रमाण सागर जी से। Share

पुण्य-पाप के स्तर
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पुण्य-पाप के स्तर Levels of virtues and sins जीवन में हम कर्मों का फल पुण्य एवं पाप के रूप में भोगते हैं। पुण्य वह विशेष ऊर्जा अथवा विकसित क्षमता है, जो भक्तिभाव से धार्मिक जीवनशैली का अनुसरण करने से प्राप्त होती है। पाप बुरे कर्म का फल है, जिससे हमें दुख मिलता है । सुनिए…

मुनियों को प्रतिदिन भगवान का दर्शन करना जरूरी?
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मुनियों को प्रतिदिन भगवान का दर्शन करना जरूरी? Daily devdarshan for Saints a must? क्या साधु परमेष्ठी को भी प्रतिदिन मन्दिर जाना जरूरी? श्रावक के षट आवश्यक में यह भी एक है। जानें आगमोक्त समाधान मुनि श्री का। Share

विजयदशमी और दुर्गा पूजा
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विजयदशमी और दुर्गा पूजा Vijayadashmi & Durga Pooja दशहरा (विजयदशमी) हिन्दुओंका एक प्रमुख त्योहार है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी से विजयदशमी और दुर्गा पूजा का सही अर्थ Share

तीर्थक्षेत्र पर दानराशि बोलकर भूलने से दोष व उपाय
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तीर्थक्षेत्र पर दानराशि बोलकर भूलने से दोष व उपाय Impacts & Remedy for forgotten declared charity कईं बार हम किसी तीर्थक्षेत्र आदि या बड़े समारोह में कोई बोली लेते हैं। हमारे भाव देने के हो पर भूलवश रह जाता है। और कमेटी के लोगों के पास ब्यौरा न होने से वो भी सम्पर्क नहीं करते…

निमित्त और उपादान
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निमित्त और उपादान Nimitta and Upadaan किसी भी कर्म के फल देने में निमित्त व उपादान का क्या महत्व है? क्या पुरुषार्थ से इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है? समाधान मुनि श्री प्रमाण सागरजी का। Share

कन्यादान का महत्व
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कन्यादान का महत्व Importance of Kanyadaan जैन धर्म में कन्या दान को श्रेष्ठ दान कहा गया है, कन्या को जीवन संगिनी के रूप में उसके माता-पिता वर के हाथों में सौंपते हैं । तो फिर कन्यादान का क्या महत्व है? जाने मुनि श्री प्रमाण सागर जी से कन्यादान का हमारे जीवन में क्या महत्व है.…

अष्टान्हिका पर्व का महत्व
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अष्टान्हिका पर्व का महत्व Importance of Ashtanhika festival “संपूर्ण श्रेष्ठ पर्वों में अष्टान्हिका पर्व का अपना विशेष महत्व है। कार्तिक, फाल्गुन व आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में यह पर्व आता है।अष्टमी से प्रारंभ होकर चतुर्दशी व पूर्णिमा तक आठ दिनों में पूरा होता है। इस पर्व में किए गए जप, तप, अनुष्ठान विशेष फलदायी…

क्या अवधिज्ञानी देव, पृथ्वी के प्रियजनों के कल्याण के लिए कुछ करते हैं?
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क्या अवधिज्ञानी देव, पृथ्वी के प्रियजनों के कल्याण के लिए कुछ करते हैं? Do Awadhigyani dev help people? भगवान व देव अवधिज्ञानी होते हैं तो वे पृथ्वी पर अपने पूर्व परिवार या प्रियजनों के कल्याण के लिए कुछ कर सकते हैं? जानें कर्म सिद्धांत के स्वरूप से। Share

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