रात्रि भोजन त्याग व फलाहार
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रात्रि भोजन त्याग व फलाहार प्राय देखने में आता है की लोग रात्री भोजन त्याग करने के बाद रात्रि में फलाहार आदि लेते है, क्या रात्री में अन्न का त्याग होने पर फलाहार लेना उचित है? सुनिये मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार Share

अतिशय क्षेत्र व सिद्ध क्षेत्र में ज्यादा महत्व किसका?
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अतिशय क्षेत्र व सिद्ध क्षेत्र में ज्यादा महत्व किसका? Preference for Siddha Kshetra and Atishay Kshetra? “तीर्थ स्थानों का सभी धर्मों में विशेष महत्त्व बताया गया है। जैन धर्म में तीर्थों के दो भेद हैं—सिद्धक्षेत्र और अतिशय क्षेत्र। दोनों क्षेत्रों में किस का अधिक महत्व है सुनिये मुनि श्री प्रमाण सागर जी के मुखारबिंद से…

हमारी शिक्षा कैसी होनी चाहिए
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हमारी शिक्षा कैसी होनी चाहिए Ideal education for children “आज शिक्षा का मतलभ डिग्री हो गया है, आज के युग में शिक्षा का उदेश्य सिर्फ नौकरी पाना हो गया है. मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज बता रहे है की हमें आज कैसी शिक्षा की जरुरत है. “ Share

कृतज्ञ और प्रेमी कैसे बनें?
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कृतज्ञ और प्रेमी कैसे बनें? Forgive and Forget जैसे को तैसे में बदले की भावना नजर आती है जबकि जैन धर्म बीती ताहि बिसर दे और क्षमा करने में विश्वास रखता है। जैन सिद्धांत की दृष्टि से इसे कैसे समझें। Share

वास्तु शास्त्र एवं उसकी आवश्यकता
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वास्तु शास्त्र एवं उसकी आवश्यकता Understanding Vaastu Shastra and its importance “वास्तु एक प्राचीन विज्ञान है।आज वास्तुशास्त्र बहुत लोकप्रिय हो चुका है, आज ऐसा बहुत सुनने को मिलता है की जो कोई वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्माण करता है, तो उसके अनुसार बनी हुई वास्तु में रहता है उसे यश, आरोग्य, सुख, समृध्दि सबकुछ निश्चित…

कर्म सिद्धांत और परिवार के पाप पुण्य का प्रभाव
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कर्म सिद्धांत और परिवार के पाप पुण्य का प्रभाव Karm theory and effects of paap-punya of family members किसी सामूहिक दुर्घटना या सामूहिक पाप कार्य को कर्म सिद्धांत की दृष्टि से कैसे समझें? उदाहरण के साथ समाधान मुनिश्री द्वारा Share

भाग्य और पुरुषार्थ
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भाग्य और पुरुषार्थ Destiny vs Efforts भाग्य और पुरुषार्थ एक दूसरे के पूरक हैं, वास्तविक रूप में भाग्य उन्हीं का साथ देता है जो स्वयं पर विश्वास करते हैं । जो अपने पुरुषार्थ के द्‌वारा अपनी कामनाओं की पूर्ति पर आस्था रखते हैं, वही व्यक्ति जीवन में सफलता के मार्ग पर अग्रसित होते हैं ।…

धर्म के लिए धन जरुरी?
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धर्म के लिए धन जरुरी? Money must for religious practice धन से कभी धर्म नहीं होता है, धन के साथ भावनाएं भी जुड़ी होनी चाहिये। बेमन और बिना भावना से किया हुआ धर्म कोई भी फल नहीं देता है। जो धन धर्म, साधना और पुण्य कार्यों में लगता है समझो उस धन की वास्तविकता में…

विवाह संबंध में समान स्तर व संस्कारों का महत्व
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विवाह संबंध में समान स्तर व संस्कारों का महत्व Importance of same status and virtues in matrimonial relations विवाह संबंध करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, अपने से ज्यादा ऊपर या नीचे के स्तर वाले व्यक्ति से संबंध करने में क्या समस्या तथा धार्मिक स्तर देखना भी क्यों जरूरी? जाने मुनि श्री…

स्वाभिमान और अभिमान में अंतर
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स्वाभिमान और अभिमान में अंतर Self respect and pride “दूसरों को कम आँकना एवं स्वयं को बड़ा समझना अभिमान है। और अपना सम्मान का भाव एवं दूसरों का सम्मान करना स्वाभिमान है। अभिमानी अन्याय करता है और स्वाभिमानी उसका विरोध – सुनिये मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार “ Share

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