अष्टान्हिका पर्व क्या और कैसे मनाये?
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अष्टान्हिका पर्व क्या और कैसे मनाये? Celebrating Ashtanika Parv “संपूर्ण श्रेष्ठ पर्वों में अष्टान्हिका पर्व का अपना विशेष महत्व है। कार्तिक, फाल्गुन व आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में यह पर्व आता है।अष्टमी से प्रारंभ होकर चतुर्दशी व पूर्णिमा तक आठ दिनों में पूरा होता है। इस पर्व में किए गए जप, तप, अनुष्ठान विशेष…

दर्शन विशुद्धि कैसे बढायें?
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दर्शन विशुद्धि कैसे बढायें? Enhancing Darshanvishuddhi Share

वचनों पर नियंत्रण कैसे करे?
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वचनों पर नियंत्रण कैसे करे? Controlling words while talking “द्रोपदी के वचनों ने महाभारत को जन्म दिया है. इसलिए शब्दों पर नियंत्रण अति आवश्यक है. प्रकृति का अटूट नियम है कि जो हम देंगे वही हमें मिलेगा, जैसा बोयेंगे वैसा ही काटेंगे इसलिए बोलने से पहले सोचें. “ Share

जीवन में सरलता कैसे लायें?
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जीवन में सरलता कैसे लायें? Bringing simplicity in life “आपका अस्तित्व तभी कायम रह सकता है जब आप किसी लक्ष्य को लेकर जीवन जी रहे हैं। लेकिन आज के दौर में समस्या ये है कि लक्ष्य कैसे प्राप्त करें ? इसी समस्या के निवारण के लिए आज हम आपके लिए लाये हैं जीवन को सरल…

अविश्वास को विश्वास में कैसे बदलें
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अविश्वास को विश्वास में कैसे बदलें Changing disbelief into faith “विशवास जीवन का मूल आधार माना जाता है , प्राय ये देखा जाता है की अविश्वास के कारण जीवन में हमे कई परेशानियो से गुजरना पड़ता है. “ Share

दूसरों के प्रति judgmental ना होएं
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दूसरों के प्रति judgmental ना होएं Not being judgemental towards others व्यक्ति आज दूसरों को अपने अनुसार जज करने लगा है , बिना सब कुछ जाने हम सामने वाले के प्रति judgemental हो जाते हैं जिससे हमरे रिश्ते ख़राब होने लगते हैं – सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा दूसरों के प्रति JUDGEMENTAL क्यों…

धर्म की प्रभावना कैसे करें?
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धर्म की प्रभावना कैसे करें? How to promote Dharma? “वह मार्ग जिसके द्वारा आदमी शुद्ध बुद्ध बने, उस सत्य-मार्ग अर्थात मोक्ष मार्ग की प्रभावना ही ‘मार्ग-प्रभावना’ या ‘धर्म-प्रभावना’ है। “ Share

विचार और भावना में अंतर
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विचार और भावना में अंतर Vichaar vs Bhavana “भावना मूड, स्वभाव, व्यक्तित्व तथा ज़ज्बात और प्रेरणासे संबंधित है जबकि विचार अवधारणाओं, संकल्पनाओं, निर्णयों तथा सिद्धांतो आदि में वस्तुगत जगत को परावर्तित करने वाली संक्रिया है जो विभिन्न समस्याओं के समाधान से जुड़ी हुई है “ Share

दान किसको दें?
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दान किसको दें? Whom to donate? “दान का शाब्दिक अर्थ है -‘देने की क्रिया’। हमारे यहाँ दान को बहुत बड़ा महत्व दिया गया है। अपनी आमदनी का एक अंश दान के रूप में खर्च करना अनिवार्य माना है। सभी धर्मों में सुपात्र को दान देना परम् कर्तव्य माना गया है – आईये जाने मुनि श्री…

खुदके दुःख और सामने वाले के सुख को सहें
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खुदके दुःख और सामने वाले के सुख को सहें Remain calm in your own pains and other’s comforts आज व्यक्ति अपने दुःख से नहीं दुसरे के सुख से ज्यदा दुखी होता है , जिसके कारण उसे अपने सुख में भी दुःख नजर आता है मुनि श्री प्रमाण सागर जी एक अनूठा मन्त्र दे रहे हैं…

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