अष्टान्हिका पर्व क्या और कैसे मनाये?
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अष्टान्हिका पर्व क्या और कैसे मनाये? Celebrating Ashtanika Parv “संपूर्ण श्रेष्ठ पर्वों में अष्टान्हिका पर्व का अपना विशेष महत्व है। कार्तिक, फाल्गुन व आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में यह पर्व आता है।अष्टमी से प्रारंभ होकर चतुर्दशी व पूर्णिमा तक आठ दिनों में पूरा होता है। इस पर्व में किए गए जप, तप, अनुष्ठान विशेष…

दर्शन विशुद्धि कैसे बढायें?
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दर्शन विशुद्धि कैसे बढायें? Enhancing Darshanvishuddhi

अरिहन्त और सिद्ध में अन्तर
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अरिहन्त और सिद्ध में अन्तर Arihanta vs Siddha “जैन धर्म में भगवान अरिहन्त (केवली) और सिद्ध (मुक्त आत्माएँ) को कहा जाता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा अरिह्नत और सिद्ध में अंतर “

जीव दया महा पुण्य का काम
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जीव दया महा पुण्य का काम Compassion to all living beings “सबसे ज्यादा पुण्य दिलाने वाले महा दान कौनसे है ये प्रश्न प्राय हम सभी के मन में आते है यूँ तो सभी दान का अपना एक अलग महत्व है परन्तु जीव दया(अभय दान ) को श्रेष्ठतम दान में माना गया है “

ज्ञान या वैराग्य क्या जरुरी?
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ज्ञान या वैराग्य क्या जरुरी? Gyan vs Vairagya जीवन में आगे बढ़ने के लिए ज्ञान नहीं वैराग्य जरुरी है , ज्ञान से मार्ग में स्थिरता आती है परंतु वैराग्य जीवन को आगे बढाता है मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा जानिये ज्ञान या वैराग्य क्या जरुरी?

क्या खाद्यान्न सुरक्षा से अंतराय कर्म?
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क्या खाद्यान्न सुरक्षा से अंतराय कर्म? “खाद्यान्न सुरक्षा के लिए पशु-पक्षी को भगाने से अंतराय कर्म का बंध होता है ? सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार . “

सम्यकदृष्टि और मिथ्यादृष्टि
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सम्यकदृष्टि और मिथ्यादृष्टि Samyak Drishti and Mithya Drishti “यह कैसे पता लगाया जाए कि कौन सम्यक दृष्टि व कौन मिथ्या दृष्टि है। जीवन में द्रव्य शुद्धि और भाव शुद्धि दोनों का होना अनिवार्य है – जाने मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार “

प्राकृत भाषा का महत्व
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प्राकृत भाषा का महत्व Importance of Prakrit language. प्राकृत भाषा भारत की भाषा है। प्राकृत में विविध साहित्य है यह जैन आगमों की भाषा मानी जाती है यह शिलालेखों की भी भाषा रही है। जाने मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार प्राकृत भाषा पर

धर्म अनुसार विवाह कार्यक्रम कैसे करें?
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धर्म अनुसार विवाह कार्यक्रम कैसे करें? Marriage program as per Dharma वैवाहिक कार्यक्रमों का परिवार और दम्पति के जीवन पर व्यापक प्रभाव होता है , आज कल पश्चिमी सभ्यता के चलते विवाह जैसे मांगलिक कार्य भी धर्मविरोधी तरीके से होने लगे है जिसका असर घर परिवार में दिख रहा है – जाने मुनि श्री प्रमाण…

हिन्दू धर्म और जैन धर्म में क्या रिश्ता है?
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हिन्दू धर्म और जैन धर्म में क्या रिश्ता है? Relation between Hindu and Jain Religions “””दोनों धर्म के शुरुआती दौर में न तो जैन शब्द था और न ही हिन्दू। वैदिक और श्रमण शब्द जरूर प्रचलन में था। भारतभूमि पर ये दो धाराएँ शुरुआत से ही प्रचलन में रहीं। कहीं-कहीं इनका संगम हुआ तो कहीं-कहीं…