मोबाइल के प्रयोग का रिश्तों पर गलत असर!

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शंका

आजकल के टेक्नोलॉजी लाइन में, हमारे सेलफोन-मोबाइल में फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल एप्स होती हैं जिसमें हम हमारी फीलिंग शेयर करते हैं, फोटो अपलोड करते हैं, चैटिंग करते हैं और इससे दूर वाला व्यक्ति पास हो जाता है और पास वाला दूर हो जाता है। यहाँ तक कि वो अपने से बात करना भी पसन्द नहीं करता है और इंपॉर्टेंस भी नहीं होती है, तो इसमें क्या करना चाहिये?

समाधान

इस चैटिंग में चीटिंग बहुत होती है। आपने बिल्कुल ठीक कहा है कि दूर वाला इंसान पास हो जाता है, पास वाला इंसान दूर हो जाता है। ध्यान रखना जो मनुष्य पास के इंसान को दूर कर देता है उसका पास का सुख दूर हो जाता है। जो मनुष्य दूर के इंसान को पास कर लेता है उसका दूर का दुःख भी पास आ जाता है। अपने सुख को दूर करना हो तो दूर की तरफ भागो, दुःख को पास बुलाना है, तो पास वाले की उपेक्षा करके दूर वाले की तरफ जाओ। 

मनुष्य को चाहिए मीडिया का प्रयोग करें लेकिन एक सीमा तक, अनावश्यक तौर पर लोग एक दूसरे से जुड़ते हैं। अभी एक घटना मेरे कमरे में घटी। एक ७२ साल के सज्जन मेरे कमरे में थे, मेरे पास बैठे, बाहर से आए थे, स्थान का नाम नहीं ले रहा हूँ और उसी बीच एक १६ साल का बच्चा मेरे पास आया। दोनों एक दूसरे से मिले, जब एक दूसरे के नाम से परिचित हुए, तो दोनों ने बोला महाराज जी ये हमारे फेसबुक मित्र हैं। १६ साल और ७२ साल, कहाँ की जोड़ी, कहाँ जा रहे हैं? यह एक प्रकार की बड़ी विकृति है। इसने हमारे समाज के ताने-बाने को बर्बाद कर दिया। वस्तुतः इन संचार माध्यमों से हम अपने कार्यों में गति ला सकते हैं, सुगमता ला सकते हैं लेकिन अब ये अनावश्यक व्यस्तता का कारण बन गया। 

एक बहन ने मुझसे कहा- हम ६ बहनों में एक भाई है, हम लोग साल में एकाध बार घर आते हैं लेकिन मेरा भाई दिन भर मोबाइल में ऐप चलाते रहता है। हम घर आ करके भी अपने भाई से दूर हो जाते हैं। हमको लगता है कि इस एप्लीकेशन ने हमसे हमारे भाई को छीन लिया। यह दुर्लभ है इससे बचना चाहिए और यह चैटिंग में चीटिंग भी होती है। झारखंड में एक घटना आज से आठ से दस वर्ष पूर्व घटी। एक युवक और एक युवती एक दूसरे से लंबे समय तक चैट पर थे और १ दिन दोनों ने एक दूसरे से मिलने का निर्णय लिया। ये घटना धनबाद की, वहाँ के अखबारों में भी छपा और दोनों ने तय किया कि आज हम लोग दोनों प्रत्यक्ष मिलेंगे। नेट के थ्रू चैट करते थे, उस समय फेसबुक नहीं था। दोनों ने वहाँ के कॉफीहाउस में मिलने का निर्णय लिया, अपना-अपना हुलिया बता दिया और जब दोनों एक दूसरे को देखे तो भौचक्का रह गए क्योंकि दोनों एक दूसरे के सगे भाई और बहन थे। यह स्थिति और उनसे इस तरह की चर्चाएँ तो यह सब चीजें हैं, हमें बहुत गम्भीरता से सोचना चाहिए। किसी भी साधन का जब तक हम एक सीमा में प्रयोग करें तब तक वह सुविधा, सुविधा है और सीमाओं और नियंत्रण का उल्लंघन हो जाने पर सुविधा भी दुविधा है।

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