हमें पिछले जन्म की बातें याद क्यों नहीं रहती?

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शंका

हमें पिछले जन्म की बातें याद क्यों नहीं रहती?

समाधान

अच्छा है कि याद नहीं रहतीं क्योंकि अगर याद आतीं तो हमारा मन ज़्यादा दुखी हो जाता। इस जन्म की ही पूरी बातें याद नहीं रहतीं तो पिछले जन्म की बात कहाँ से याद रहेंगी? और थोड़ी देर के लिए विचार करो हमारे जीवन में जो कुछ भी घटा यदि वह सब हमें याद रहता, केवल इस जीवन की बात रखें, तो आज हमारा मन कितना दुखी हो जाता?

अपने अतीत की बातों को बुरी-बुरी बातों को याद करके हम लोगों का सबका मन दुखी हो जाता। तो यह हमारी ऐसी व्यवस्था है कि पुरानी बातों को डिलीट करते जाओ और आगे को फिर से लिखते जाओ। पिछली बातों को याद करने से कोई लाभ नहीं है, अगली बातें अच्छी बनाने के लिए प्रयास हम सबको करना चाहिए। 

हाँ, जैन साधना में एक शब्द आता है- जाति स्मरण! कभी-कभी किसी निमित्त विशेष के प्रभाव से किसी-किसी जीव को अपनी पिछली बातें अचानक याद आ जाती हैं, स्मरण आ जाता है। अचानक याद आ जाने से वे सम्यक् दर्शन को भी प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे अचानक कभी कोई बात या वो घटना जीवन की अन्तर घटना में निमित्त बन जाए तो ये बहुत बड़ी बात होती है। एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, मैं इसे दूसरे तरीके से बताता हूँ। जैसे कंप्यूटर (computer) है, कंप्यूटर का हार्डवेयर (hardware) होता है और उसमें सॉफ्टवेयर (software) भी होता है। हार्डवेयर क्या है? बिना हार्डवेयर के सॉफ्टवेयर काम कर पाता है क्या? जो टेक्निकल साइड (technical side) के लोग हैं इस चीज को अच्छे से समझेंगे। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों का तालमेल होना चाहिए। हार्डवेयर खराब हो गया तो उसमें डाला हुआ सॉफ्टवेयर काम करता है क्या, नहीं करता है न? हार्डवेयर खराब हुआ तो सॉफ्टवेयर कैसे काम करेगा, तो जब हमारा यह शरीर है ये हार्डवेयर है, हमारा ब्रेन (brain) , हमारा पूरा नर्वस सिस्टम (nervous system) , हमारा पूरा शरीर ये हार्डवेयर है और हमारे अन्दर के जो ज्ञान का संस्कार है वह सॉफ्टवेयर है। तो सॉफ्टवेयर तो ठीक है, हार्डवेयर खराब हो जाने के कारण हमारे अन्दर का बहुत सारा डाटा (data) जो होता है वो करप्ट (corrupt) हो जाता है। और इसलिए फिर नए सिरे से उसमें डाटा फीड (data feed) होते हैं और फिर नए तरीके से संचालित होता है।

आप यह भी कह सकते हो कि महाराज जी अचानक किसी-किसी को क्यों  होता है? तो कई चीजें ऐसी होती हैं हार्डवेयर खराब होने के बाद भी कभी-कभी कुछ चीजें हैं जो बनी रहती हैं और निमित्त मिलने में अचानक प्रकट हो जाती। ऐसा ही सिस्टम (system) हमारे ज्ञान का है, ऐसा ही समझना चाहिए।

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