शंका
जैसे गणेश मन्दिर, शिव मन्दिर में जल पिलाया जाता है, वैसे हमारे यहाँ गन्धोदक क्यों नहीं पिलाते हैं?
समाधान
हमारे भगवान वीतरागी हैं, वे स्वयं कोई भोग नहीं लेते। हमारे भगवान भूख-प्यास से ऊपर होते हैं इसलिए हमारे यहाँ प्रसाद भी नहीं होता। जब हम लोग उनका अभिषेक करते हैं तो उसको इतना पवित्र मानते हैं कि वह माथे पर लगाने लायक है, पीने लायक नहीं है। उनके यहाँ उसको पी लेते हैं क्योंकि उसे वे एक प्रकार का भोग मानते हैं। हमारे यहाँ भोग नहीं है इसलिए नहीं पीते। पीने में उसे निर्माल्य जैसा मान लिया जाता है।
Leave a Reply