शांतिधारा का नाम क्यों और कब पड़ा?

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शंका

शांतिधारा का नाम क्यों और कब पड़ा?

समाधान

शांतिधारा का नाम शांतिधारा इसलिए पड़ गया कि लोगों को आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत शांति की है। 

एक बार एक बच्चे ने प्रश्न किया कि ‘महाराज! आदमी की मृत्यु के बाद शांति पाठ ही क्यों किया जाता है? और कोई पाठ क्यों नहीं किया जाता?’ मैंने जवाब दिया, ‘भैया! जो आदमी मरा उसके पास पत्नी थी, परिवार था, बंगला था, गाड़ी था, घोड़ा था, सब कुछ था, एक शांति नहीं थी! इसलिए मरने के बाद शांति पाठ कर रहे हैं।’ शांति की आज लोगों को सबसे ज्यादा आवश्यकता है इसलिए शांतिधारा करते हैं। 

इसकी परंपरा अत्यंत प्राचीन है। आचार्य जिनसेन महाराज जी ने आदि पुराण में एक प्रसंग का वर्णन किया है। मुझे लगता है शांतिधारा का पुराना स्वरूप शायद वहाँ होगा। उन्होंने लिखा कि जब भरत चक्रवर्ती को अशुभ स्वपन आये तो अपने अशुभ सपनों के फल को सुनकर उनका चित्त उद्वेलित हुआ। उस उद्वेलन को शांत करने के लिए, अपनी चित्त की शांति के लिए उन्होंने जिन अभिषेक किया, पूजा की और पात्र दान किया। वह जिनाभिषेक अनिष्ट शांति के लिए था। मैं समझता हूँ वही पुरानी शांतिधारा हो।

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2 comments
  • Preti September 17, 2022 at 6:57 am

    Shanti nath bhagwan ki hi Shanti dhara kyu…kisi ar bhagwan ki kyu nhi

    • Narendra Jain November 26, 2022 at 10:49 pm

      Shanti dhara is not for shanti nath bhagwan alone. In fact in the laghu shanti dhara, it specifically talks about only parshva nath bhagwan. Only toward the end it mention the name of shanti nath bhagwan along with other thirthankars. Similarly in the vrahad (long) shanti dhara it first mention parshva nath bhagwan and later it mention shantinath bhagwan. Things are different in shanti path done at the end of the puja, where you only see shantinath bhagwan being mentioned.

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