ए.सी., टॉयलेट का प्रयोग मुनियों के लिए निषेध क्यों?

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शंका

साधारण श्रावक जब उपवास-व्रत करता है, यदि वह मुँह में एक चावल का दाना भी ले ले तो उसका वह उपवास-व्रत खंडित हो जाता है। उसी प्रकार मुनि महाराज, जो अट्ठाइस मूलगुण धारी हैं और अहिंसा महाव्रत का पालन करता है, वह अगर एअर कंडीशनर (air conditioner) और कमोड (toilet seat/commode) का इस्तमाल करते हैं, जिनमें असंख्यात जीवों का घात होता है, तो उनकी क्या स्थिति है?

समाधान

मैं एक ही लाइन में कह देता हूँ, शिथिलाचार और अनाचार के अन्तर को समझिए। देश काल की परिस्थिति के अनुसार, अपने व्रत आदि के आराधना में थोड़ी बहुत ढील शिथिलाचार का नाम है, लेकिन आप जिसका उल्लेख कर रहे हैं वह शिथिलाचार नहीं है वह तो महा अनाचार है। यदि साधु अगर एअरकंडीश्नर का उपयोग करता है, तो उसमें और एक गृहस्थ में क्या अन्तर है? और साधु यदि शौचकूप में जाकर के अपने शौच की निवृत्ति करता है, तो उसके पिच्छी-कमंडल का क्या मतलब है, पिच्छी और कमंडल क्यों रखते हैं? वहाँ तो सिस्टम से पानी जाता है, फिर कहाँ आपके पानी का नियम और कहाँ आपका धर्म? अन्दर कितने कीड़े बिलबिलाते हैं! फिर आप लोग भी जब शौचालय में जाते हो तो आने के बाद स्नान करते हो, फिर साधु अगर जाता है और बिना स्नान के लौटता है, तो क्या होगा? वहाँ पिच्छी कहाँ रखता होगा! भगवान ही मालिक है। 

ये सर्वथा भगवान महावीर की अवमानना है, ऐसा कार्य कतई नहीं होना चाहिए, न इसका अनुमोदन करना चाहिए, अनुमोदना में भी पाप है।

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