दान का फल पात्रों के अनुसार भिन्न क्यों होता है?

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शंका

चौके में जो द्रव्य सामग्री होती है वह एक ही होती है; देने वाले जो दाता है वह भी एक है लेकिन पात्रों के हाथ में पहुंचते ही उस सामग्री का फल अनेक रूप में हमें मिलता है, वो कैसे?

समाधान

द्रव्य एक, दाता एक, पात्र के निमित्त से अलग-अलग फल मिलता है। हमें तत्त्वार्थ सूत्र के १ सूत्र को ध्यान में लेना चाहिए – विधि द्रव्य दात्रपात्र विशेषात्तद्वीशेष:– जितनी उत्तम विधि, जितना उत्तम द्रव्य, जितना उत्तम दाता और जितना उत्तम पात्र, दान में उतनी विशेषता आती है। 

एक ही क्रिया में कोई मन-वचन-काय से संलग्न है, कोई केवल मन से, कोई केवल वचन से है। कोई केवल काय से है, कोई केवल काय के साथ स्वयं कर रहा है, कोई दूसरों से करा रहा है। कोई केवल अनुमोदना कर रहा है। इसके निमित्त से एक ही दान में अलग अलग फल प्रकट होते है।

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