वेदी में प्रतिमा की संख्या विषम क्यों होती है?

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शंका

वेदी में भगवान को विषम संख्या में विराजमान करना चाहिए या सम संख्या में करना चाहिए?

समाधान

भगवान की वेदी को विषम संख्या में ही जिनबिम्ब वाली बनाना चाहिए, सम संख्या में नहीं। इसी तरह मुझसे कई बार लोग पूछते हैं कि ‘महाराज जी! ऐसा कहते हैं कि दो-चार वन्दना नहीं करना चाहिए, १, २, ३, ५.. करनी चाहिए। ऊन क्यों करनी चाहिए? पूर्ण क्यों नहीं करनी चाहिए?’ इसका logic (तर्क) तो मुझे समझ नहीं आया लेकिन मैंने एक ही बात कही कि ऊन वन्दना इसलिए करना चाहिए कि अन्त समय तक यही भावना रहे कि ‘मेरी वन्दना ऊन ही रह गई है, पूर्ण नहीं हुई है; इसलिए मुझे फिर आना है, फिर आपकी वन्दना करनी है।’ ऊन है; पूर्ण नहीं है। इसी भाव से वन्दना ऊन करते हैं। भगवान की वेदी विषम इसलिए रखते हैं कि भगवान की वेदी पूरी नहीं हुई अभी मेरा काम अधूरा है और ये भावना और धारणा उसमें हो।

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