शंका
प्राणी यह तो जानता है कि- ‘न तो मैं कुछ साथ लेकर आया था और न ही साथ लेकर जाऊँगा’। फिर भी उसका मन माया में क्यों अटका रहता है? वो भ्रम कैसे दूर हो?
समाधान
बस, जानता है पर मानता नहीं है! इसलिए अटका रहता है। अभी तक जानते हो मानते नहीं हो, अपने साथ जो जोड़ रखे हो, बटोर रखे हो, उसको छोड़ने के लिए राजी हो जाओ।
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