रोट तीज क्यों मनाई जाती है और धार्मिक दृष्टि से यह उचित है?

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शंका

रोट तीज क्यों मनाई जाती है और धार्मिक दृष्टि से यह उचित है?

समाधान

रोट तीज धार्मिक पर्व नहीं है, यह एक प्रकार की सामाजिक रीति है। इस पर्व को मुख्य रूप से खंडेलवाल समाज में ही मनाया जाता है, इसकी अपनी कथा है। 

उस कथा में एक महिला जिसने एक मुनि- महाराज से एक धान्य के साथ एकासन करने का नियम लिया और उसने जब अपने परिवार के लोगों को बताया तो परिवार के लोगों ने उसका मज़ाक उड़ाया, उसे हतोत्साहित किया, उसका व्रत खंडित कर दिया। नतीजा यह निकला कि उनकी सारी श्री संपत्ति नष्ट हो गई। बाद में सब कुछ खो देने के बाद फिर से कभी संयोग मिला और उसने इस व्रत का पालन किया। व्रत पालन के दिन उसने एकासन किया और मन्दिर में रोट चढ़ाया गया तो उनका वह रोट स्वर्णमय हो गया और उसी से यह रोट चढ़ाने का एक त्योहार रोट तीज हो गया। 

इस कथा की गहराई में जाने से बहुत सारे प्रश्न उठते हैं कि रोट तीज व्रत कैसे हुआ? रोट क्यों चढ़ाया गया? और क्या हम रोटतीज सोने का रोट बनाने के लिए मनाते हैं? रत्नों का रोट बनाने के लिए भगवान को चढ़ाते हैं? यह सब बातें जँचती नहीं क्योंकि ये रीत है, त्योहार है इसे मनाने में कोई दोष नही। मुझे इसके दो लाभ दिखते हैं, पहली बात तो यह कि इस रोट तीज के कारण घर की बड़ी बुजुर्ग महिला का महत्व पता चलता है क्योंकि उसकी शुरुआत उन्हीं के हाथ से होती है, यह सामाजिक दृष्टि से बहुत अच्छा है। दूसरी बात इसके कारण लोक परम्परा से जुड़ते हैं और हर जैनी व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में हो, रोट तीज पर अपने घर आना चाहता है। 

रोट तीज पर मोटे-मोटे रोट बना करके खाया जाता है, ये कोई धर्म नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि पंचमी के बाद व्रत-उपवास ज्यादा होते हैं, तो रोटतीज के दिन इतना खा लिया जाए कि हिसाब-किताब बराबर बना रहे और शायद इसलिए ऐसी परिपाटी बना दी गई हो। ये एक सामाजिक रीति है और उसे उसी सन्दर्भ में देखना चाहिए।

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