मुनिराज को ‘जंगम प्रतिमा’ क्यों कहते हैं?

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शंका

मुनिराज को ‘जंगम प्रतिमा’ क्यों कहते हैं?

समाधान

प्रतिमा दो तरह की होती है- एक स्थावर, एक जंगम। प्रतिमा का अर्थ बताते हुए आचार्य कुन्दकुन्द ने कहा है कि ‘जो रत्नत्रय का संदेश दे वह प्रतिमा है।’ उन्होंने मुनि मुद्रा को प्रतिमा कहा है। चूँकि मुनिराज चलते-फिरते हुए रत्नत्रय का सार बताते हैं इसलिए मुनियों को ‘जंगम प्रतिमा’ कहा; और जो भगवान मन्दिर में विराजते है उन्हें ‘स्थावर प्रतिमा’ के रूप में जाना जाता है।

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