आत्मा बार – बार शरीर क्यों धारण करती है?

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शंका

शरीर मिथ्या और नश्वर है, पर आत्मा शाश्वत है, फिर भी आत्मा बार-बार शरीर को क्यों धारण करती है?

समाधान

आप अपने कपड़े बार-बार क्यों बदलते हैं? क्योंकि वे फट जाते हैं, खराब हो जाते हैं। तो शरीर इसलिए बार-बार बदलता है क्योंकि ये शरीर जीर्ण- शीर्ण हो जाता है। शरीर शब्द की व्याख्या करते हुए लिखा कि, “जो सड़े-गले उसका नाम शरीर है।” शरीर का स्वभाव सड़ना-गलना है। ऐसे सड़े-गले शरीर को आत्मा कब तक ढोये? अतः आत्मा बार-बार इसे बदलती है। जब आत्मा को समझ में आ जाता है कि शरीर को कितना भी बदलो ये शरीर सड़ने वाला है, तो उसका ध्यान जाता है कि मेरा असली शरीर तो ज्ञान शरीर है। जब वह ज्ञान स्वभावी आत्मा को पहचान लेता है, तब भेद विज्ञान के बल पर उसे प्रकट करने का पुरुषार्थ करता है। जब वह ज्ञान शरीरी हो जाता है, तो अजर-अमर बन जाता है और उसे नये शरीर को धारण करने की जरूरत नहीं पड़ती।

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