शंका
प्रतिकूल परिस्थितियों में मन वश में क्यों नहीं रहता?
समाधान
इसलिए कि हम जानते हैं, मानते नहीं। सतही स्तर पर जानने से कुछ काम नहीं होता, अन्तर्मन से जानो, अन्तर्मन से मानो, तब मानना होता है और जब तक हम इस व्यवस्था को अन्तरङ्ग से स्वीकार नहीं करते, तब तक हमारा मन ढलता नहीं और जब तक मन ढलता नहीं, हमारे जीवन में शान्ति नहीं।
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