समवसरण का समाचार सुन राजा सात कदम आगे आकर क्यों नमोस्तु करते हैं?

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शंका

जब पहले किसी राज्य में किसी तीर्थंकर का समवसरण आता था तो राजा को सूचना मिलते ही वह अपने सिंहासन से सात कदम आगे चलकर क्यों नमोस्तु करते थे? वहीं खड़े रहकर क्यों नहीं करते थे?

समाधान

सात अंक बहुत महत्त्वपूर्ण अंक है, सात अंक पूर्ण प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। बुंदेलखंड में एक परम्परा है, पंचकल्याणक के बाद भगवान को गजरथ में सवार करके उस स्थल की सात परिक्रमा करते हैं और आप जितने बैठे हैं अधिकतर सात फेरे काटने वाले तो बैठे ही हैं और जिसने नहीं काटे, तो आगे काटेंगे। तीर्थंकरों के आगमन के समाचार से राजा- महाराजा और तीर्थंकरों की कल्याणक की घड़ी की सूचना पाकर इन्द्र भी सात कदम आगे बढ़ते हैं तो ये सात अंक पूर्ण श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है, तो अपने हृदय को हमने भगवान के प्रति समर्पित कर दिया। जिसके प्रति हमारा पूर्ण समर्पण होता है उसके लिए सात कदम आगे बढ़कर के प्रणाम किया जाता है। कहते हैं ना, इसका मेरा सात जन्म का नाता है, सात जन्म का नाता मतलब जिसके प्रति हमारे ह्रदय में सच्चा प्रेम और प्यार है वो सात से शुरू होता है। इसलिए सात फेरे भी लगाते हैं कि प्रेम से रहो लेकिन आजकल चक्कर दूसरा हो जाता है क्योंकि फेरे के समय में आप लोग मजाक ज़्यादा करते हो तो जिंदगी मजाक बन जाती है, उस समय सबसे गम्भीर होना चाहिए। पाणिग्रहण संस्कार विवाह का मूलभूत संस्कार है, यन्त्रराज वहाँ रहते हैं, उसकी साक्षी में जो हँसी मजाक और फ़ूहड़पन होता है, ये घोर असाधना है और महान पाप कर्म का कारण है। इससे बचना चाहिए, इसका भी जीवन में प्रभाव पड़ता है।

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