महाराज जी को ‘नमोस्तु’ और माताजी को ‘वन्दामि’ क्यों करते हैं?

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शंका

महाराज जी को ‘नमोस्तु’ और माताजी को ‘वन्दामि’ क्यों करते हैं?

समाधान

ये सब अभिवादन का तरीका है। हम लोग किसी को अभिवादन करते हैं, समझो माता-पिता को प्रणाम करते हैं, इसी तरह मुनि-महाराज को ‘नमोस्तु’ यानि आपके लिए हमारा नमस्कार हो। एक शब्द आता है प्रोटोकॉल, जिसका जो पद होता है उसको उसी पद के अनुरूप सम्मान देते हैं। चूँकि मुनि-महाराज हमारे पूज्य हैं, पंचपरमेष्ठी हैं तो केवल पंचपरमेष्ठी को ही नमोस्तु किया जाता है। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु, मुनि-महाराज साधु परमेष्ठी में आते हैं, तो उनको नमोस्तु कहते हैं। आर्यिका माता पंचपरमेष्ठी में नहीं आती हैं लेकिन वो स्त्री पर्याय में उत्कृष्ट तपस्या करती हैं, जो उस पर्याय में कर सकती हैं; इसलिए उनको ‘वन्दामि’ कहते हैं।

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