सब कुछ होते हुए भी तनाव और हताशा क्यों होती है?

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शंका

आज हमारे पास सब कुछ होते हुए हम लोग यह समझते कि हमारे पास कुछ भी नहीं है। इच्छाओं का तो अन्त भी नहीं होता। लेकिन सब कुछ होते हुए मानसिक तनाव, दुर्भाषा और हताशा मन में प्रकट होती रहती है। क्यों ऐसा?

समाधान

इसलिए कि जो पाता है वो भाता नहीं। जब प्राप्त को पर्याप्त समझने लगोगे तब ये सारी समस्याएँ हल हो जाएँगी। और जब तक मनुष्य प्राप्त को पर्याप्त नहीं समझेगा, यह समस्याएँ बरकरार रहेगी।

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