अष्टाह्निका पर्व में ही इतना पूजा-विधान, बाकी दिनों में क्यों नहीं?

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शंका

अष्टाह्निका पर्व में ही इतना पूजा-विधान, बाकी दिनों में क्यों नहीं?

समाधान

तीन बार करते हैं, बहुत अच्छी बात है। जिंदगी भर करें तो बहुत अच्छा है, लेकिन जिंदगी भर ना कर सकें तो कम से कम तीन बार तो करें। किसी ने मना नहीं किया है कि तीन बार अष्टाह्निका के अलावा मत करो मैं तो यह कहता हूँ कि एक अवस्था पर पहुंच जाने के बाद पूरा जीवन अष्टाह्निकामय बना देना चाहिए। लेकिन यदि पूरा नहीं कर सको तो जितना बन सके उतना तो कर ही लो।

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