खंडन-मंडन की प्रवत्ति का प्रर्वतन क्यों हुआ?

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शंका

खंडन-मंडन की प्रवत्ति का प्रर्वतन क्यों हुआ?

समाधान

मुंबई क्या? अमेरिका में कोई आदमी मर जाए तुम्हारे परिवार का, तो मन में तकलीफ़ होती है कि नहीं? दुनिया के किसी कोने में तुम्हारे परिवार का कोई व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, मृत्यु हो जाए तो मन में उसका असर पड़ता है कि नहीं? जब सात समंदर पार मरने वाले या दुर्घटना से ग्रसित होने वाले व्यक्ति का हमारे मन पर असर पड़ता है, तो मुंबई और इंदौर तो बहुत पास है, असर क्यों नहीं पड़ेगा? 

वह युग की माँग थी, उस काल में अपने धार्मिक अस्मिता को बनाए रखने के लिए बहुत बड़ी जरूरत थी। राजाओं-महाराजों के निर्देशन में शास्त्रार्थ हुआ करते थे। उस शास्त्रार्थ में हार जीत के आधार पर धर्म परिवर्तन होता था। ऐसे भी उदाहरण मिलते हैं कि ऐसे शास्त्रार्थ में अनेक प्रकार के छल-छद्मों का प्रयोग किया गया और उन छल-छद्मों के कारण हमारे जैन धर्म की भारी क्षति हुई, बहुत बड़ा इतिहास है।

अकलंकदेव के शास्त्रार्थ का सबको पता ही है, जिसमें तारादेवी का आश्रय लेकर के सारा कार्य किया गया था। तो उस समय जो शास्त्रार्थ होते थे, उस शास्त्रार्थ का सामना करते समय जैन धर्म अनुयायी के सामने चुनौतियाँ आयें, तो उन सब की भी जानकारी आपके पास होनी चाहिए ताकि शास्त्रार्थ में कहीं हमें मुँह की खानी न पड़े इसीलिए खंडन – मंडन की बात थी। आज अपेक्षाकृत बहुत अच्छा समय है इसलिए हम को इन सब चीजों में उलझने की कोई स्थिति नहीं है।

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