रावण विद्याधर होते हुए भी भूमिगोचरी राम से क्यों हारा?

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शंका

जब राम की रावण से लड़ाई हो रही थी तो राम के पास कोई वैभव नहीं था। रावण के पास वैभव, बुद्धि और विद्याधर भी थे, फिर भी वे भूमिगोचरी से हार गए, ऐसा क्यों?

समाधान

एक शक्ति है जो हमें सामने प्रत्यक्ष दिखती है और एक शक्ति है जो हमारे सामने नहीं होती; एक दृश्य शक्ति है, अन्य अदृश्य शक्ति है। रावण के साथ जो दृश्य शक्तियाँ थीं वे हमें दिख रही थीं। रामचंद जी के साथ जो शक्ति थी वह हमें दिखाई नहीं पड़ रही थी। अदृश्य शक्ति दृश्य शक्ति से बड़ी होती है, प्रभावी होती है, यह इस घटना ने हमें बता दिया। राम जी के पास जो अदृश्य शक्ति थी वो क्या शक्ति थी? वह शक्ति थी उनके भीतर का पुण्य, पुण्य की शक्ति! पुण्य का ऐसा प्रभाव हुआ कि साधनहीन होने के बाद भी वे सफल हो गए। क्षीण-पुण्यों के पास कितने भी साधन हों उनका सर्वनाश होता है। 

जैन रामायण के अनुसार रावण का वध रामचंद जी के तीर से नहीं हुआ, रावण के स्वयं के सुदर्शन चक्र से हुआ। जैन रामायण में ऐसा कहा गया है कि रावण जब अन्त में हार गया तो उसने अपने सुदर्शन चक्र को याद किया और राम-लक्ष्मण के ऊपर उस चक्र का प्रहार कर दिया। सुदर्शन चक्र अमोघ अस्त्र होता है। एक पल को हाहाकार सा मच गया, हड़कंप मच गया कि यह क्या हुआ, अगर इस सुदर्शन चक्र ने अपना काम कर दिया तो श्री राम और लक्ष्मण का क्या होगा? लेकिन इसी को कहते हैं पुण्य, वो सुदर्शन चक्र तीन प्रदक्षिणा देखकर लक्ष्मण के हाथ में आ गया। लक्ष्मण जी ने उसी क्षण उस सुदर्शन चक्र को रावण के ऊपर छोड़ा और उससे रावण का वध हुआ। कथा अपनी जगह है, चाहे वह प्रचलित रामायण वैदिक रामायण में राम जी के तीर से मरा हो या जैन रामायण में लक्ष्मण के चक्र से मरा हो, सवाल रावण के मरने का है। रावण को मरना चाहिए था। 

रावण क्यों मरा? पुण्य के क्षीण होने के कारण मरा इसलिए अपनी बुद्धि, अपने वैभव और अपने बल पर भरोसा मत करो, अपने पुण्य को गाढ़ा करने का प्रयत्न करो। यदि हमारा पुण्य प्रगाढ़ होगा तो सारी प्रतिकूल स्थितियाँ भी अनुकूल बन जाएँगी और यदि पुण्य क्षीण होगा तो सब प्रकार की अनुकूलता होने के बाद भी कुछ नहीं कर पाएँगे। एक दिन हमारा अन्त होगा। इसलिए उस अदृश्य शक्ति को समझें और अपने जीवन को तदनुरूप बनाने की कोशिश करें।

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