पुराने समय में रानियाँ जौहर क्यों करती थी?

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शंका

रानी पद्मावती ने ऐसे कौन से कर्म पिछले जन्म में किए होंगे कि उसे ऐसा सुंदर रूप मिला जो उसके पति और उसके मरण में निमित्त बना? उसके जौहर का फल उसके अगले भव में क्या हुआ होगा?

समाधान

यह तो किसी अवधि ज्ञानी महाराज से पूछते तो वो सब बता देते, मुझे नहीं मालूम। 

भारत के इतिहास को हम पलट करके देखते हैं भारत का राजनीतिक इतिहास बड़ा रक्तरंजित रहा है खासकर विदेशी आक्रांताओं ने भारत में एक दूसरे को राज्य हड़पने के साथ-साथ पर नारियों के साथ भी अत्याचार किया। जितने भी भारतीय शासक रहे वे बड़े शीलवान रहे हैं और उन्होंने कभी किसी दूसरे राजा को अधीन करने के बाद उसकी स्त्री को हाथ नहीं लगाया। 

मैं आपको एक घटना सुनाना चाहूँगा, छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन काल की बात है। उनके मराठा सैनिक कल्याण पर आक्रमण करके लौटे, लौटने के बाद शिवाजी महाराज से कहा कि ‘महाराज हमने आपके चरणो में इस धरती के सर्वश्रेष्ठ रत्न को आपके लिए लाए हैं, आप स्वीकार कीजिए।’ शिवाजी ने पूछा ‘क्या लाए हो?’ उन्होंने कहा ‘कल्याण नरेश की धर्मपत्नी जो इस विश्व की सर्वश्रेष्ठ सुंदरी है आपकी सेवा के लिए लेकर आए।’ शिवाजी ने जैसे ही सुना, उनके कान खड़े हो गए, ‘तुम लोगों ने महा अनर्थ कर दिया। क्या कल्याण की साम्राज्ञी हमारी साम्राज्ञी नहीं है? वे हमारी साम्राज्ञी ही नहीं हमारी माँ और बहन भी है। तुम लोगों ने बिल्कुल गलत किया और आज के बाद वे  इस पूरे मराठा साम्राज्य की बहन होगी, सब की बहन होगी और उन्हें ससम्मान वापस उनके घर तक पहुँचाया जाए’, यह था भारतीय शासकों का आदर्श। विदेशी आक्रांताओं ने हमारे देश की नारियों के ऊपर बहुत हमले किये, जौहर करने की वजह केवल यही थी जब हमारे यहाँ की स्त्रियों को अपने शील को बचाने का कोई रास्ता नहीं दिखता तो उन्हें जौहर करना पड़ता। 

हमारे पुराने आदर्श तो यह रहे हैं कि अगर ऐसी कोई स्थिति रही तो राजा महाराजाओं ने उनको संरक्षण दिया। राजनीतिक लड़ाई अपनी जगह रही है लेकिन शील संयम की मर्यादा को उन्होंने कभी नहीं खोया। यह जो कुछ भी घटनाक्रम है आज के समय में वह तो बड़े चर्चा का विषय बना हुआ है। मैं उस विषय में कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन यह कहना जरूर चाहता हूँ कि भारत के इतिहास को समझा जाए, भारतीय नरेशों के जीवन चरित्र को देखा जाए, जिनके जीवन में कितनी उज्जवलता और पवित्रता कायम रही है जिन्होंने अपने जीवन में शील संयम सदाचार का किस तरीके से पालन किया है, उनको अगर उपस्थित करेंगे तो इस तरह की दुविधायें कभी प्रकट नहीं होंगी।

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