विकलांगजन मुनि महाराज को आहार क्यों नहीं दे सकते?‌

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शंका

विकलांगजन मुनि महाराज को आहार क्यों नहीं दे सकते?‌

समाधान

कुछ चीज़ें आगम के विधान के अनुसार हैं, आप उसमें अनुमोदना करके पुण्य लें। कई चीज़ें ऐसी होती हैं, जिसमें व्यक्ति प्रत्यक्ष करके भी लाभ नहीं ले सकता है, तो उसका परोक्ष में लाभ लिया जा सकता है। कृत- कारित अनुमोदना का फल बराबर है। आप की अवस्था आहार देने लायक नहीं है क्योंकि नवधा भक्ति करने में आपको अनुकूलता नहीं है। आप फेरी नहीं लगा पाएँगे, आप पूरी विधि से पूजन नहीं कर पाएँगे और बिना नवधा भक्ति के साथ आहार नहीं दिया जा सकता। जो व्यक्ति नवधा भक्ति करने में समर्थ न हो, वो आहार कैसे दे सकता है? इसलिए मन में हीन भावना मत लाइए। सोचिये ‘किसी पाप कर्म का उदय है, इसलिए मुझे ऐसा शरीर मिला। आज मैं विकलांग हूँ, लेकिन मेरा पुण्य उदय आएगा तो मैं अपने जीवन को धन्य करूँगा।’

अनुमोदना करके भी आप वो सब लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आदिनाथ के जीव ने पूर्व भव में कुक्कुट और मरकट की पर्याय में अनुमोदना करके अपने जीवन को धन्य किया था। कृतांत वक्र के जीव ने जटायु की पर्याय में मुनि महाराज को आहार देने की अनुमोदना करके अपने जीवन को धन्य किया। आप मनुष्य पर्याय में भी मुनि दान की अनुमोदना करके, अपने जीवन को सफल कर सकते हैं।

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