हम राग-द्वेष से बुढ़ापे तक मुक्त क्यों नहीं हो पाते?

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शंका

हम राग-द्वेष से बुढ़ापे तक मुक्त क्यों नहीं हो पाते?

समाधान

राग और द्वेष हमारे लिए हानिकारक है, हम रोज़ सुनते हैं पर इसके बाद भी दूर नहीं हो पाता क्योंकि हमारे संस्कार हावी हैं। ये हमारे जन्मों का संस्कार एक पल में दूर हो जाता तो क्या बात थी! अनादि जन्मों के संस्कारों को हम एक पल में दूर नहीं कर सकते। उसके लिए हमें लंबा पुरुषार्थ और प्रयास करना होता है। जितनी हम साधना बढ़ायेंगे, अपने विकारों का हम शमन करेंगे तभी इनको हम जीत पायेंगे।

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