पिच्छी अलग-अलग रंगों की क्यों होती हैं?

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शंका

कुछ महाराज जी आजकल सफ़ेद रंग की पिच्छी इस्तेमाल करते हैं, तो इसका क्या कारण है।

समाधान

कुछ दिनों से white (सफेद) रंग की पिच्छी का चलन हो गया है। पिच्छी का जो शुरू से चलन था वो मोर पंख का ही था। बीच में मोर पंखों पर सरकारी रोक लगाने की बात थी, तो विद्यानंद जी महाराज जी को उनके भक्त ने साउथ अफ्रीका से मोर-पंख लाकर के दिए। वहाँ सफ़ेद मोर होते हैं। उन्होंने उसका इस्तेमाल करना शुरू किया और बाद में उनके साथ “श्वेतपिच्छाचार्य” ऐसा विरद जुड़ गया। उनका नाम जुड़ गया तो उस नाम के कारण वो अब सफ़ेद पिच्छी ही रखने लगे हैं। सफ़ेद हो या काली, मोर पंख की पिच्छी होनी चाहिए, जो सहज रूप से प्राप्त हो जाए। तो ये एक घटना विशेष के कारण ऐसा हुआ है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि काली पिच्छी वाले महाराज अलग है और सफ़ेद पिच्छी वाले महाराज अलग।

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