शंका
श्रीजी का अभिषेक होता है, मुनिश्री का क्यों नहीं?
समाधान
मुनिश्री और श्रीजी में अंतर हैं। जो क्रियायें मुनिश्री के साथ हों वही श्री जी के साथ हों या जो क्रियायें श्री जी के साथ हों वही मुनिश्री के साथ हों तो बड़ा गड़बड़ होगा। अगर मुनिश्री का स्नान नहीं तो भगवान का अभिषेक नहीं करो तो गड़बड़ और भगवान का भोजन नहीं तो मुनियों का भोजन बंद कर दों तो गड़बड़।
इसलिए मुनिश्री मुनिश्री हैं और भगवान भगवान हैं। इसलिए जहाँ जो विधान है उसे वैसे ही करना चाहिए। जिनेंद्र भगवान के अभिषेक का आगम में पर्याप्त उल्लेख मिलता है। इसलिए इसमें किसी प्रकार की शंका करना उचित नहीं।
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