शंका
तीर्थंकर बालक का जब जन्म होता है तब उनको ज्ञान रहता है कि उनके जन्म-कल्याणक गर्भ-कल्याणक काफी हर्ष से मनाये गए हैं तो वो अपने जीवन काल में दीक्षा कल्याणक के समय वो निमित्त क्यों ढूँढते हैं?
समाधान
न इंतजार करते हैं न ढूँढते हैं, संयोग निमित्त बनाता है। ज्ञान आपके पास खूब है लेकिन आपको जिन-जिन बातों का ज्ञान है, उस पर ध्यान है क्या? तो महत्त्व ज्ञान का नहीं है, महत्त्व ध्यान का है। तो उनका ध्यान उन निमित्तों से जाता है ऐसे नहीं जाता इसलिए गड़बड़ होता है।
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