गुरुओं के विहार के समय कमजोर श्रावकों में भी शक्ति कहाँ से आती है?

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शंका

घर वालों के कहने से आज तक मैं दो कदम जाकर कोई सामान नहीं लाया, लेकिन आज जोहरी बाजार से मोहनबाड़ी आया, मोहनबाड़ी से तीनों नसियाँ आया, तीनों नसियाँ से थम्ब की नसियाँ आया, पूरे 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा आप के साथ विहार के दौरान की है, अभी भी पाँव में उतनी जान है कि १२ किलोमीटर और चल लूँ, महाराज जी ऐसी क्या कृपा हुई मेरे ऊपर?

समाधान

इसका मतलब यही समझ लो कि गुरुओं से जुड़े रहोगे तो तुम्हारी ऊर्जा अनन्त गुनी हो जाएगी। जो जुड़ता है वह ऊर्जावान बनता रहता है, उसके भीतर की शक्तियाँ प्रकट होती हैं, अपनी ऊर्जा को ऐसे ही बढ़ाते रहें।

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