हम धर्म और अधर्म द्रव्य की ओर कब जाते हैं?

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शंका

हम धर्म और अधर्म द्रव्य की ओर कब जाते हैं?

समाधान

धर्म द्रव्य और अधर्म द्रव्य- दो शाश्वत द्रव्य हैं, जो जीव और पुद्गलों को क्रम से गति में और ठहरने में सहायक होते हैं। धर्म द्रव्य, जीव और पुद्गलों की गति में सहायक है, जैसे रेल के लिए पटरी; और अधर्म द्रव्य ठहरने में सहायक है, जैसे अपने लिए धरती। धरती ज़बरदस्ती बैठाती नहीं और पटरी ज़बरदस्ती ट्रेन को चलाती नहीं, पर पटरी के बिना ट्रेन नहीं चल सकती। ट्रेन चलती इंजन से है, पर बिना पटरी के नहीं चल सकती, ये उदासीन निर्मित है। यह जीव की अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति और परिणति है। जब हम ठहरना चाहते हैं, तब अधर्म द्रव्य हमारा स्वागत करता है और जब हम चलने के इच्छुक होते हैं तब धर्म द्रव्य हमारा साथ देता है।

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