शंका
एक जीव मनुष्य पर्याय में जन्म लेने के बाद जीवन पर्यंत धार्मिक कार्यों में, समाज की सेवा में, गुरुओं के चरणों में रहता है; और अन्त समय में न जाने क्या हो जाता उसको कि णमोकार भी अच्छा नहीं लगता। ऐसा पल मेरे जीवन में कभी नहीं आये इसके लिए हमें क्या प्रयत्न करना चाहिए?
समाधान
अभी से नित्य भावना भाओ
“दिन-रात मेरे स्वामी में भावना भाऊँ, देहांत के समय में तुमको न भूल जाऊँ”
जीवन पर्यंत जब ऐसी भावना भाओगे तब कहीं जाकर ये भावना साकार होगी।”
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