किसी को असाध्य रोग हो जाये तो क्या करें?

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शंका

महाराज श्री, मेरी यहाँ एक रिश्तेदार को असाध्य रोग हो गया है। क्या धर्मानुसार मैं ऐसा कुछ कर सकती हूँ जिससे उनका रोग ठीक हो जाए? क्या किसी मंत्र का जाप करने से या उनके नाम से दान करने से रोग ठीक हो सकता है? महाराज जी कृपया मेरा मार्गदर्शन करें, मैं उनको ठीक करना चाहती हूँ।

समाधान

किसी को कोई असाध्य रोग हो गया तो इसका तात्पर्य यह नहीं की हम उसको उसके हाल पर छोड़ दें। आपको चाहिए कि आप अंतिम क्षण तक उसके स्वास्थ्य लाभ के लिए जो संभव प्रयास है वह करते रहें। Medical aid (चिकित्सीय सहायता) मिल सके तो मेडिकल ऐड लें, दवा दें और दवा के साथ-साथ दुआ का भी प्रयोग करते रहें। जब सब तरह की स्थिति खत्म हो जाए, जीने की कोई संभावना नहीं हो, तब सल्लेखना की व्यवस्था है, वह भी व्यक्ति की अवस्था को देखते हुए। लेकिन एकदम से हड़बड़ा करके कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। जिनको असाध्य रोग हुआ है वो भी यदि श्रद्धा पूर्वक णमोकार मंत्र की आराधना करें, भक्तामर का पाठ करें तो उसके जीवन में बड़ा परिवर्तन आ सकता है।

यूएसए में एक बहन राखी बड़कुल है, उन्होंने अपना मैसेज इसी शंका समाधान के मंच से भेजा था। उसको फोर्थ स्टेज का कैंसर हो गया था। इस शंका समाधान के कार्यक्रम को सुनने के बाद उसने प्रतिदिन एक घंटा णमोकार मंत्र लिखना शुरू किया। तीन माह में उसका कैंसर ठीक हो गया। वह पूरी तरह ठीक हो गई। आपको श्रद्धान करना होगा, प्रयास करना होगा। आप प्रयास कीजिएगा तो परिणाम आएगा। हालाँकि यह बात सच है कि कर्मोदय के तीव्र उदय में कोई निमित्त काम नहीं करता। लेकिन हमारे पास इसके अलावा और कोई दूसरा निमित्त ही नहीं है इसलिए अंतिम क्षण तक पुरुषार्थ करना चाहिए।

णमोकार महामंत्र की आराधना से मेरे संपर्क में ऐसे अनेक लोग हैं, जिन्होंने भयंकर बीमारियों से मुक्ति पाई है और मैं आप से कहता हूँ कदाचित इससे बीमारी से मुक्ति ना भी मिले तो उस बीमारी को सहने की शक्ति ज़रूर मिल जाएगी। अगर मरेगा भी आदमी तो होश से मरेगा, बेहोशी से नहीं मरेगा। आप कभी भी रोग-ग्रस्त हों, मंगल कामना कीजिए। वह व्यक्ति यदि खुद जाप आदि की अनुष्ठान में अपने आप समर्थ ना हो, तो आप उसके तरफ प्रार्थना कीजिए। मंगल भावना भाईये, भक्तामर स्तोत्र का पाठ कीजिए, कुछ मंगल तरंगें उत्पन्न कीजिए, उसके अंदर परिवर्तन घटित होगा इस विश्वास के साथ, होता है।

प्रयास आपको करना चाहिए। आप लोगों के साथ मुश्किल यह दिखती है कि प्रयास करना नहीं चाहते और परिणाम पूरा चाहते हैं। प्रयास कीजिएगा तभी परिणाम निकलेगा। अतः हम जितना बन सके प्रयास करने में कतई पीछे न रहें। दूसरे लोग भी जब किसी के प्रति मंगल भावना भाते हैं तो परिणाम आता है।

मैं आपको मंगल भावनाओं का प्रभाव बताता हूँ। हमारे संघ में एक मुनि महाराज थे प्रवचन सागर जी, उनको कुत्ते ने काट खाया और कुत्ता काट खाया तो उन्होंने IGNORE(नज़रअंदाज़) कर दिया। कुत्ता काटे, तो एँटी रेबीज(ANTI-RABIES) इंजेक्शन तो हम लोग ले नहीं सकते क्योंकि वह पूरी तरह हिंसा से बनती है; तो जो देसी उपचार था कर लिया। उसके बाद गुरुदेव ने पहली बार उनका संघ से पृथक बिहार कराया। २००३ की घटना, अमरकंटक से चातुर्मास के बाद वह कटनी के लिए चले। अब इस मध्य रास्ते में ही उनको हाइड्रोफोबिया की शिकायत हो गई। हाइड्रोफोबिया एक ऐसी बीमारी है, जो कुत्ते के काटने से होती है जिसके विषय में कहते हैं कि सिमटम(SYMPTOMS) प्रोड्यूस हो जाने के बाद, एक बार उसके लक्षण उजागर हो गए तो व्यक्ति ७२ घंटे से ज्यादा नहीं जीता। दुनिया में आज तक कोई औषधि नहीं है उसकी। आज कुत्ते ने काटा ४० बरस बाद तक हाइड्रोफोबिया होने के उदाहरण मिले है। इलाज तो कुछ था नहीं। महाराज जी कटनी आ गए थे। हम लोग कटनी के पास बोहोरीबंद क्षेत्र में थे। गुरुदेव का संदेश आया, हम लोग एक दिन में ५० किलोमीटर चल करके गए। उनकी स्थिति थी कि अब बचना तो है नहीं, सल्लेखना है। उन्होंने पूरे होशहवास के साथ अपनी सल्लेखना की तैयारी कर ली। हम लोग टाइम पर पहुँच गए, दो दिन पहले पहुँच गए और सारे त्यागी व्रति वहाँ जाप कर रहे थे। जाप से उनको बचाया तो नहीं जा सका क्योंकि बचना ही नहीं था। वह जहर शरीर में जा चुका था, कदाचित साँप का काटा बच सकता है, कुत्ते का काटा अगर हाइड्रोफोबिया हो गया तो तीन काल में नहीं बच सकता। लेकिन उसके बाद डॉक्टरों ने कहा था कि आप लोग सुरक्षित दूरी रखियेगा, यह काटने दौड़ेगा, पानी की तरह भागेगा लेकिन आपको क्या बताऊँ, अंतिम क्षण तक उनके परिणाम शांत रहे। जिस समय प्राण निकले, मैं उनके सामने खड़ा था, अच्छे भाव से प्राण निकले।

तब दवा और दुआ दोनों साथ-साथ चलनी चाहिए। आप प्रार्थना, जाप, पाठ जरूर कीजिए इससे काफी हद तक अच्छे परिणाम आते हैं। परिणाम आएँगे कोई जरूरी नहीं, लेकिन परिणाम बिगड़ेंगे नहीं, संभल जायेंगे।

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