देश-विदेश में जैन धर्म की पुनर्स्थापना के लिए क्या करें?

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शंका

विदेशों में पहले कई जगह जैन धर्म की मान्यता थी और वहाँ आज भी हमारे धर्म से जुड़ी प्रतिमाएँ और स्मारक मौजूद हैं। कुछ को तो नष्ट कर दिया है और कुछ को बौद्ध धर्म की बता कर रख लिया गया है। यह सब हमारे धर्म के प्रचार-प्रसार न होने के कारण हुआ है। हम ऐसा क्या करें कि वहाँ फिर से जैन धर्म की स्थापना हो जाए?

समाधान

इसके लिए पूरे देश भर की जैन समाज को संगठित होना पड़ेगा। कुछ मामलों में आज भी जैन बहुत पीछे हैं। आज जैन धर्म को प्रतिष्ठापटल पर फैलाना चाहिए, उसमें हम पीछे हैं। जैन लोगों ने अपने आप को मन्दिर-मूर्तियों तक सीमित कर लिया है। जैन तत्त्व के प्रचार प्रसार के लिए जैसी भूमिका होनी चाहिए अगर वैसी भूमिका आज भी निभायी जाए तो आज भी जैन धर्म विश्व व्यापी बन सकता है। इसलिए हमें पूरे विश्व के समाज में यह विकसित करने की जरूरत है कि जैन मूर्ति का चलन कितना प्राचीन है! यह जो हमारे अवशेष हैं, जिन्हें बौद्ध अवशेष घोषित किया गया है यह गलत है। इसे यदि संगठित रूप से ठीक ढंग से लोगों तक पहुँचाया जाए तभी वैश्विक स्तर पर कोई परिवर्तन आएगा और तभी हम कुछ सार्थक लाभ ले सकेंगे।

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