मानस्तम्भ की ऊँचाई कितनी होनी चाहिए?

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शंका

मन्दिर की ऊँचाई से मानस्तम्भ की ऊँचाई कितनी अधिक होनी चाहिए?

समाधान

समवसरण में तो मानस्तम्भ का जो मान बताया है वह तीर्थंकर प्रतिमा से बारह गुना बताया है। तीर्थंकर की अवगाहना से बारह गुना ऊँचाई मानस्तम्भ की बतायी। मतलब भगवान महावीर की अवगाहना सात हाथ की थी तो मानस्तम्भ की ऊँचाई चौरासी हाथ की। इसी हिसाब से लगा लें। वर्तमान में मानस्तम्भ की ऊँचाई के बारे में जब पूछते हैं कि मन्दिर के शिखर से ऊँचाई कितनी होनी चाहिए, इस विषय में कोई स्पष्ट विधान नहीं दिखता। मानस्तम्भ का लोग आजकल प्रयोग कर रहे हैं, पुराने समय भी मानस्तम्भ बनते थे और बने हुए हैं। लेकिन मानस्तम्भ के विषय में कुछ लोगों का ऐसा कहना है कि मानस्तम्भ अगर हम भगवान के ठीक सामने बनाते हैं और सटा के बनाते हैं तो ये एक प्रकार का स्तम्भ भेद हो जाता है समवसरण में तो चारों दिशाओं में मानस्तम्भ होते हैं और वे भगवान से काफी दूर होते हैं। तो स्तम्भ-भेद की दृष्टि से अगर दूर करना चाहें, तो मेरी दृष्टि से मन्दिर की मूल लम्बाई से कम से कम डेढ़ गुनी दूरी पर मानस्तम्भ की रचना होनी चाहिए। यानि मन्दिर साठ फीट लम्बा है, तो मानस्तम्भ नब्बे फीट की दूरी में करें। इसमें किसी प्रकार का दोष नहीं होगा और आपकी भावना की भी पूर्ति होगी।

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