दक्षिण भारत के जैन मन्दिरों का जीर्णोद्धार

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शंका

दक्षिण भारत के जैन मन्दिरों का जीर्णोद्धार

समाधान

आपने एक बहुत गंभीर मुद्दा समाज के बीच उठाया| दक्षिण भारत मे अपार जैन सम्पदा है, एक समय था जब दक्षिण भारत में उत्तर भारत से अधिक जैन धर्म का प्रभाव था और शास्त्रों में उत्तर से ज्यादा दक्षिण की मान्यता थी, जैसे धवला आदि ग्रंथों में दक्षिण प्रतिपत्ति और उत्तर प्रतिपत्ति की जब चर्चा आती तो उत्तर प्रतिपत्ति से ज्यादा दक्षिण प्रतिपत्ति को महत्व दिया जाता था क्योंकि विशेष तत्व ज्ञानी मुनियों, आचार्यों का वहाँ सदभाव रहा करता था| दक्षिण भारत के साहित्य और पुरावशेषों को देखकर ऐसा लगता है की एक युग था जब दक्षिण भारत जैनियों का गढ़ था| समय बदला राज्याश्रय के अभाव के कारण जैन धर्म का विध्वंस हुआ और आज वहाँ बहुत थोड़े जैनी बचे हैं लेकिन जिन लोगों ने जैन मंदिरों का, मूर्तियों का, धर्मायतनों का निर्माण किया वह आज भी अपने इतिहास की गौरव गाथा गा रहे हैं| अभी मेरे पास “मदुरै” करके एक पुस्तक आई, मैंने उसको देखा| इससे पहले मैंने “तमिलनाडु का जैन इतिहास”और “दक्षिण भारत में जैन धर्म का इतिहास” यह दो पुस्तकें पढ़ी थी| पंडित कैलाश चंद सिद्धांत शास्त्र की भारती ज्ञानपीठ से प्रकाशित एक पुस्तक है, “दक्षिण भारत में जैन धर्म का इतिहास” जैन धर्म जब मैं पढ़ा तो मेरे आंखों से आँसू, एक-एक साथ हजारों मुनियों को सूली पर चढ़ाया गया| तमिलनाडु का इतिहास “जैन इतिहास” पंडित मल्लीनाथ शास्त्री के द्वारा लिखित है चेन्नई से प्रकाशित पुस्तक मैंने पढ़ी रूह काँप गई| अभी यह जो किताब मेरे पास आई उसको अभी पलटा ही हूँ लेकिन वाकई में वहाँ बहुत सारे अवशेष है| दक्षिण भारत में अभी जब मेरी मधुर से चर्चा हुई तो उसने बताया कि रोज एक जगह कोई ना कोई भगवान हमें देखने को मिल जाते हैं, इतना भरा पड़ा है और सब आज से हजार-बारह सौ-चौदह सौ साल प्राचीन अद्भुत शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण पूरे देशभर की जैन समाज को यह चाहिए की उस धरोहर की सुरक्षा करें, तीर्थ यात्रा के कार्यक्रमों के अंतर्गत तमिलनाडु की यात्रा को विशेष बल दे क्योंकि यह अवशेष ज्यादातर तमिलनाडु में आ रहे हैं| अपना कार्यक्रम बनाये उन क्षेत्रो का विकास करने मे आगे आये| वहाँ जो आवश्यकता है उनकी पूर्ति करें ताकि हमारी यह धरोहर बच सके, हम उनकी पूजा-अर्चना करके लाभ ले सके| एक जगह तो 164 प्रतिमाएँ पर्वत पर उत्कीर्ण, एक सी| कलगु मलय जो अभी प्रकाश में आया पहले प्रकाश में नहीं थे तो यह चीजें वहाँ दूसरे लोग जाकर के इन्हें प्रकाश में ला रहे हैं, तो जैन समाज के लोगों को भी इसमे आना चाहिए| 

मैं इतनी बात कहता हूँ कि धर्मायतनों की रक्षा और सेवा का फल महान बताया है उसे देव आयु और साता वेदनीय के उत्कृष्ट अनुभाग के बंध का कारण बताया है| पीढ़ियों का उद्धार हो जाएगा इसलिए ऐसी जिन प्रतिमाओं की रक्षा के लिए आप सदैव तत्पर रहे,धर्म संस्कृति के लिए आगे आए उसके लिए जो कुछ भी आपको करना पड़े करें| हर व्यक्ति को चाहिए की इस क्षेत्र में जागरूकता के साथ आगे बढ़े और तुम लोग जो यह कार्य कर रहे हो तुम्हारे पूरे ग्रुप को मैं आशीर्वाद देता हूँ| यह युवक मुझे बताया, पचास-साठ युवक का इनका ग्रुप है अपनी सैलरी का एक बड़ा भाग इस कार्य में यह लोग लगाते हैं और आगे बढ़ रहे हैं ऐसे युवकों के हाथ को मजबूत करने का दायित्व समाज का होता है आगे आए एक पर एक ग्यारह बने तो सारा काम बहुत अच्छे से हो सकता है|

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1 comment
  • K.C.Jain October 7, 2022 at 2:14 pm

    I send my Heartiest Congratulations to this group of young ones who are pursuing this great work of जीर्णोद्धार of old Jain temples in South.I live in Delhi & had visited several temples in South during Mahamastabhishek at GOMETESHWAR.
    Temples in South give lot of peace.
    Please inform me details of this group so that I can also become apart of this group.

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