कन्या क्या करे जिससे परिवार और समाज को गर्व हो?

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शंका

मैं अपने विद्यार्थी जीवन को सफल और अध्यात्म-मय बनाने के लिए क्या करूँ? मैं ऐसे क्या काम करूँ जिससे मेरे मां-बाप को मुझ पर गर्व हो? मेरे घर में कोई बेटा नहीं है, तो मेरे मन में आता है कि मैं कुछ ऐसा काम करूँ जिससे मैं ही अपने मां-बाप के लिए बेटा बनूँ?

समाधान

बहुत सुन्दर प्रश्न किया है। देखो सबसे पहली बात है कि विद्यार्थी जीवन में क्या करूँ?, जिससे पढ़ाई के साथ-साथ धर्म और अध्यात्म से जुड़े रहूँ? सबसे पहला काम तो विद्यार्थी के लिए यह है कि वह अधर्म न करे, यही उसका सबसे बड़ा धर्म है। अपने द्वारा कोई भी ऐसा कार्य न करो, जो धर्म-विरुद्ध हो, नीति-विरुद्ध हो, मर्यादा-विरुद्ध हो। 

इसके साथ-साथ जैन धर्म के जो मूलभूत संस्कार हैं, उनको अपने जीवन में आत्मसात करो:

  • नित्य सुविधानुसार देव-दर्शन करना 
  • पंच परमेष्ठी का स्मरण करना 
  • रात्रि भोजन का त्याग करना 
  • और अन्य जो बुरी चीजें हैं, उनका त्याग करना

इसके साथ-साथ थोड़ा समय गुरुओं के समागम के लिए, जब भी प्रसंग आए जरूर देना चाहिए। उससे एक प्रेरणा मिलती है और हमारे संस्कार उत्तम बने रहते हैं। 

दूसरा सवाल जो पूछा है कि ‘हमारा कोई भाई नहीं है, हमारे परिवार में बेटा नहीं है, हम क्या करें कि परिवार में बेटे का अभाव न खले?’ आज की युग में बेटियाँ बहुत कुछ कर रही हैं। राजस्थान में तो राज ही महिलाओं का रहा है। समझ गए! बहुत कुछ कर सकती हैं। कैसे कर सकती हैं? एक आदर्श कन्या बनकर। आदर्श कन्या कौन होती है? आदर्श कन्या वह होती है जो अपने आचार और विचार से अपने कुल के गौरव को बढ़ाती है। जिसके जीवन में संयम और मर्यादा ही रहती है। जो पढ़-लिखकर योग्य बनती है और अपने आचार को इतना पवित्र और निर्मल बनाती है कि उसे देखकर के लोग यह पूछने को बाध्य हो जाते हैं ‘आखिर किस पुण्य से ऐसी कन्या को प्राप्त किया।’ ऐसा करने का प्रयास करोगे निश्चित तुम्हारे घर में बेटे का अभाव किसी को नहीं खटकेगा। हमारे यहाँ कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी लड़कियों ने जन्म लिया और उन्होंने अपने मां-बाप का नाम बहुत ऊँचा किया। माँ-बाप का नाम क्या पूरे देश का नाम बहुत ऊँचा किया, अपने कर्म के बल पर। तो बेटी हो या बेटा आज के युग में इसे फर्क नहीं करना चाहिए हमारे संस्कार अच्छे होंगे तो बहुत ऊँचा उठाया जा सकता है। भगवान आदिनाथ का नाम ऊँचा करने में ब्राह्मी और सुंदरी का बहुत ऊँचा स्थान था। तुम लोगों को यह सोचना चाहिए कि हम तो ब्राह्मी और सुंदरी के वंशज हैं। हमें वही काम करना है जिससे हमारे माँ बाप को कभी नीचे न देखना पड़े, उन्हें कभी झुकना न पड़े और उन्हें किसी भी प्रकार से लाचार या मजबूर न होना पड़े।

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