किन बातों का ध्यान रखें कि धर्म भी न टूटे और संस्कार भी न छूटे?

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शंका

मैं १२ वीं का छात्र हूँ, १२ वीं की परीक्षा देकर मैं बाहर जाऊँगा, अभी तक तो मुझे माता-पिता एवं दादा-दादी का सानिध्य मिला। अब मैं बाहर जाऊँगा तो मुझे किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, ताकि मेरा धर्म भी न टूटे और संस्कार भी न छूटे।

समाधान

देखो, अपनी लिमिट्स (limits) को कभी क्रॉस (cross) नहीं करना। जीवन की जो बाउंड्रीज़ (boundaries) है न, उसको ध्यान में रखना। क्या लिमिट्स (limits) है? हमारे धर्म की जो लिमिट (limit) है, हमारी जाति की जो लिमिट (limit) है, हमारे कुल की जो लिमिट (limit) है, हमारे जीवन की जो लिमिट (limit) है – उसे हमें क्रॉस (cross) नहीं करना। समझ गए, चाहे कुछ भी हो जाए, चाहे जैसी भी विपरीतता क्यों न हो हम लिमिट (limit) को क्रॉस नहीं करेंगे। जिन चीजों का नियम तुमने ले रखा है, उन प्रतिज्ञाओं को कभी मत त्यागना। अपने संस्कार को मत खोना। जो संस्कार मां-बाप से तुम्हें प्राप्त हुए हैं, उन संस्कार को मत खोना और अपने संकल्प को मत तोड़ना। बस ये तीन बातों को ध्यान में रखोगे, जीवन में कभी नहीं भटकोगे। और मैं तुम्हें नहीं, तुम्हारे जैसे सारे बच्चों को यह कहना चाहता हूँ boundaries & limits (सीमाओं) का ध्यान रखो; अपने संस्कार को सुरक्षित रखो और अपने संकल्प को कभी मत तोड़ो जीवन बहुत हाइट (height) पर जाएगा।

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